गरीबी चाहे कितनी भी आ जाए भगवान को नहीं भुलना चाहिए – मनोज कृष्ण शास्त्री
रायपुर। हनुमान मंदिर ट्रस्ट द्वारा हनुमान मंदिर वार्षिकोत्सव में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा विश्रांति के दिन वृंदावन से आए कथावाचक मनोज कृष्ण शास्त्री जी ने भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन करते हुए श्रद्धालुजनों को बताया कि जो सामथ्र्यवान है उसमें कभी दोष नहीं होता, लोग ढोंगी को जल्द स्वीकार कर लेते है जबकि वास्तविकता को स्वीकार करने में उन्हें काफी तकलीफ होती है।
चित्रलेखा – पौण्डिक देव प्रसंग पर उन्होंने कहा कि कभी भी ढोंगी पर विश्वास नहीं करना चाहिए, ढोंगी पर विश्वास करने से हमेशा व्यक्ति का छल ही होता है। चित्रलेखा ने भगवान श्रीकृष्ण जैसे व्यक्ति की परिकल्पना कर चित्र को उकेरा और पौण्डिक स्वयं को राजा समझने लग गया, भगवान कृष्ण ने उनका संहार किया साथ ही उसका उद्धार भी कर दिया क्योंकि पौण्डिक ने भगवान की जो नकल की थी, जो भगवान की शरण में जैसे भी हो जाता है उसका उद्धार निश्चित है। उन्होंने कहा कि माता-पिता चलते-फिरते भगवान है और माता-पिता की सेवा सभी को करनी चाहिए। मृत्यु के बाद फोटो पर हार चढ़ाने और हाथ जोडऩे से कुछ नहीं होता।
सुदामा प्रसंग पर शास्त्री जी ने कहा कि सुदामा को गरीब कहना गलत है और भिखारी कहना असत्य है। क्योंकि सुदामा जैसा धनवान जग में कोई नहीं हो सकती, वास्तव में सुदामा से बड़ा भक्त कोई नहीं हुआ। दरिद्रता और गरीबी के बावजूद भी सुदामा ने कभी भी भगवान का साथ नहीं छोड़ा और भगवान से कभी कुछ नहीं मांगा। गरीबी चाहे कितनी भी आ जाए भगवान को नहीं भुलना चाहिए, ना सुख में और न ही दुख है। मित्र से मिलने की इच्छा सुदामा की थी लेकिन भगवान से मांगने के लिए जाने की कतई इच्छा नहीं थी। मित्र, गुरु, बहन, बेटी के यहां कभी भी खाली हाथ नहीं जाना चाहिए, कुछ न कुछ अवश्य लेकर जाना चाहिए। सुदामा अपने मित्र से मिलने भी मु_ी भर चांवल लेकर गए थे। उन्होंने भगवान से कुछ नहीं मांगा लेकिन फिर भी भगवान ने उन्हें वह सबकुछ दिया जिसकी कल्पना सुदामा ने भी नहीं की थी। भगवान की भक्ति में मांगने की इच्छा मन में कभी नहीं होनी चाहिए, भगवान अपने भक्तों की मन:स्थिति से पूरी तरह से परिचित होते है, उन्हें कुछ भी बताने या जताने की आवश्यकता नहीं होती।