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ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा एवं कौशल परिषद की बैठक में एनआईटी रायपुर को स्पार्क परियोजना हेतु मान्यता

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रायपुर। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर को शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की प्रमुख पहल स्पार्क (शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने की योजना) के अंतर्गत एक प्रतिष्ठित संयुक्त शोध परियोजना प्राप्त होने पर औपचारिक रूप से मान्यता प्रदान की गई है। यह घोषणा 8 दिसंबर को नई दिल्ली में आयोजित ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा एवं कौशल परिषद (एआईईएसईसी) की तीसरी बैठक के दौरान की गई। इस परियोजना को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान एवं ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर द्वारा संयुक्त रूप से स्वीकृत किया गया, जो दोनों देशों के बीच शिक्षा एवं शोध सहयोग को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
इस उच्च-स्तरीय बैठक में उभरते एवं महत्वपूर्ण अनुसंधान क्षेत्रों में ?9.84 करोड़ की दस नई संयुक्त शोध परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई। एनआईटी रायपुर को प्राप्त यह स्पार्क परियोजना उन्नत कंप्यूटिंग के क्षेत्र पर केंद्रित है, जिसमें सुपरकंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं क्वांटम कंप्यूटिंग शामिल हैं। इस शोध परियोजना का नेतृत्व डॉ. चंद्रशेखर जातोथ, सहायक प्राध्यापक, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, एनआईटी रायपुर, द्वारा भारतीय प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर के रूप में किया जा रहा है, जबकि प्रोफेसर राजकुमार बय्या, द यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न, इस परियोजना के विदेशी प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर हैं।
इस अवसर पर प्रो. डॉ. एन. वी. रमना राव, निदेशक, एनआईटी रायपुर, ने डॉ. चंद्रशेखर जातोथ एवं उनकी शोध टीम को इस प्रतिष्ठित स्पार्क परियोजना के लिए हार्दिक बधाई दी तथा उनके भावी शैक्षणिक एवं शोध कार्यों के लिए शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।
स्पार्क के इस चरण में चयनित भारतीय संस्थानों में एनआईटी रायपुर के साथ आईआईटी खडग़पुर, बिट्स पिलानी, एनआईटी तिरुचिरापल्ली एवं एनआईटी सुरथकल भी शामिल हैं। यह उपलब्धि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उच्च-प्रभावी शोध में एनआईटी रायपुर की भूमिका को सशक्त बनाती है और भविष्य की उभरती तकनीकों में भारत की क्षमताओं को विकसित करने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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