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दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में रेल लाइनों के विकास को नई रफ्तार

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रायपुर/ बिलासपुर ।दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 में रेलवे नेटवर्क विस्तार और संरचना सुदृढ़ीकरण की दिशा में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ सफलतापूर्वक पूर्ण की गईं। इस वर्ष कुल 200.15 किलोमीटर रेल खंडों का निर्माण/कमीशनिंग कार्य पूर्ण हुआ, जिसकी कुल लागत 2896.53 करोड़ रही।
इन परियोजनाओं में अनूपपुर-कटनी तीसरी रेललाइन परियोजना के अंतर्गत कुल 91.52 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का निर्माण एवं कमीशनिंग किया गया, जिसमें बधवाबारा – घुंघुटी (13.00 किमी), घुंघुटी – मुदरिया (10.70 किमी), मुदरिया – बीरसिंहपुर (5.60 किमी), उमरिया – लोरहा (10.00 किमी), चंदिया रोड – विलायतकलां (9.50 किमी), बीरसिंहपुर – नवरोज़ाबाद (6.90 किमी), नवरोज़ाबाद – करकेली (10.20 किमी) तथा करकेली – उमरिया (12.42 किमी) रेलखंड शामिल है ।
इसी प्रकार तीसरी लाइन की ही एक और महत्वपूर्ण परियोजना राजनांदगांव – नागपुर तीसरी रेललाइन परियोजना के अंतर्गत 63.96 किलोमीटर रेल खंडों पर कार्य पूरा किया गया, जिनमें पनियाजोब – बोरतलाव (8.00 किमी), कांपटी- कलमना (7.72 किमी), सालेकसा – धनोली (7.00 किमी), गुदमा – गोंदिया (10.00 किमी), गोंदिया – गंगाझरी (13.74 किमी) तथा आरओआर गोंदिया (13.50 किमी) शामिल है ।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में चल रही चौथी रेल लाइन की परियोजना बिलासपुर – झारसुगुड़ा चौथी रेललाइन परियोजना के तहत 54.57 किलोमीटर रेलखंडों का निर्माण किया गया । इनमें बिलासपुर – गतोरा (8.00 किमी), रॉबर्टसन – भूपदेवपुर (9.30 किमी), किरोडीमलनगर – रायगढ़ (10.27 किमी), रायगढ़ – कोतरलिया (9.00 किमी) एवं कोतरलिया – जामगा (8.00 किमी) चौथी रेल लाइन शामिल है ।
इसके साथ ही केन्द्री – धमतरी एवं अभनपुर – राजिम गेज परिवर्तन परियोजना के अंतर्गत अभनपुर से राजिम के मध्य (17.30 किमी) रेल लाइन का कार्य पूर्ण किया गया है।
इन परियोजनाओं की पूर्णता से क्षमता आवर्धन के साथ न केवल रेलवे की वर्तमान ट्रैफिक क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि होगी, बल्कि यात्री एवं माल परिवहन में गति, समयबद्धता और सुगमता भी सुनिश्चित होगी। व्यावसायिक क्षेत्रों को बेहतर रेल संपर्क मिलने से क्षेत्रीय विकास को भी गति मिलेगी। साथ ही वैकल्पिक मार्गों की उपलब्धता से भीड़-भाड़ में कमी आएगी और आपातकालीन परिस्थितियों में संचालन निर्बाध रहेगा। साथ ही इन परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन से रेलवे का हरित विकास भी सुनिश्चित होगा।
इन सभी लाइनों के निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात नॉन इंटरलॉकिंग प्रक्रियाओं के माध्यम से उन्हें संबंधित स्टेशनों से जोड़ा जाता है। इस दौरान यार्ड मॉडिफिकेशन, ट्रैक की लिंकिंग एवं सिग्नलिंग कार्य किए जाते हैं इस दौरान संबंधित रेलमार्ग की अधिकांश यात्री ट्रेनों को भी अस्थायी रूप से रद्द अथवा उनके मार्ग परिवर्तित करने की आवश्यकता पड़ती है।

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