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नक्सलियों ने पर्चा जारी कर बताया अबूझमाड़ मुठभेड़ में 27 नहीं 28 नक्सली मारे गये, 7 जिंदा बचे

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बीजापुर। नक्सलियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प द्वारा जारी पर्चे में बताया गया है कि अबूझमाड़ मुठभेड़ को लेकर नक्सलियों ने कई खुलासे किए हैं। उनहोंने स्वीकारा है कि, इस मुठभेड़ में 27 नहीं 28 नक्सली मारे गये हैं। एक का शव वे अपने साथ ले जाने में कामयाब रहे, एक साथी नीलेश का शव उनके पास है। । जिसमें जवानों ने 10 करोड़ रुपए के इनामी नक्सली नम्बाला केशव राव उर्फ बसवा राजू समेत 27 के शव बरामद कर किए, जबकि एक शव नक्सली अपने साथ लेकर गए हैं। जिस टीम के साथ मुठभेड़ हुई उसमें कुल 35 नक्सली थे, 7 जिंदा बचे हैं।
नक्सली प्रवक्ता विकल्प का कहना है कि जनवरी तक उनकी सुरक्षा में 60 लोग रहते थे लेकिन विपरीत परिस्थितियों के कारण सुरक्षा को कम कर 35 लोगों की कर दी गयी थी।, यानी बसवा राजू के साथ कुल 60 नक्सली रहते थे। उन्होने बताया कि कुछ मुठभेड़ में मारे गए तो कुछ ने आत्मसमर्पण कर दिया था। नक्सली प्रवक्ता ने बताया कि 19 मई को गांव के पास पुलिस पार्टी के पहुंचने की सुचना मिलते ही सभी लोग निकल रहे थे, 19 को सुबह से पांच बार मुठभेड़ हुई पर कोई नु$कसान नहीं हुआ था। किन 20 मई की रात को हज़ारों जवानों ने हमें घेर लिया और 21 मई को ऑपरेशन में सभी मारे गए।नक्सली नेता विकल्प ने कहा है कि हम संगठन के प्रमुख नम्बाला केशव राव उर्फ बसव राजू को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहे।
नक्सली प्रवक्ता विकल्प ने अबूझमाड मुठभेड़ की जानकारी देते हुए बताया कि नक्सली प्रवक्ता विकल्प का कहना है कि, इस मुठभेड़ के दौरान बसवा राजू समेत उनके साथी 60 घंटे तक भूखे थे। उनके पास खाना नहीं था। पुलिस ने चारों तरफ से घेर लिया था। अब मारे गए अपने 28 साथियों के नाम जारी किए हैं। जारी पर्चे में बताया गया कि एक तरफ अत्याधुनिक हथियारों से लैस हजारों गुण्डा बल, आपरेशन में इन लोगों को खाने-पीने का व्यवस्था हेलिकाफ्टरों से किया जाता है । दूसरी तरफ देश के सामाजिक अर्थिक समस्याओं को चलते लडऩे वाले मात्र 35 जन क्रांतिकारी लोग, 60 घण्टों से इन लोगों को खाने-पीने के लिए कुछ नहीं मिला, भूखे थे इन दोनों पक्षों के बीच में युद्ध शुरू होता है । हमारे बीआर दादा (नम्बाला केशव राव उर्फ बसवा राजू.)को अपने बीच में सुरक्षित जगह में रख कर प्रतिरोध किये, पहले रउंड में डीआरजी के कोटलू राम को मार गिराया। इसके बाद कुछ समय तक आगे आने के लिए कोई हिम्मत नहीं किये थे, बाद में फिर फायरिंग चालू किये प्रतिरोध को सक्रियता के साथ नेतृत्व करते हुए सभी ने आखरी तक डट कर प्रतिरोध किये, कई जवानों को घायल किये। एक टीम आगे बढ़कर उनके घेराव को तोडऩे में सफल हुई लेकिन भारी शेलिंग के कारण बाकी लोग उस रास्ते से नहीं निकल सके । सभी ने नेतृत्व को बचाने की अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए बीआर दादा (नम्बाला केशव राव उर्फ बसवा राजू.)को आखरी तक छोटा खरोंच भी आने नहीं दिया। सभी के मारे जाने के बाद बीआर दादा (नम्बाला केशव राव उर्फ बसवा राजू.)को जिंदा पकडकर हत्या कर दिया गया। हमारे कामरेड्स कुल 35 थे, इसमें 28 कामरेड्स मारे गये। इस मुठभेड़ से 7 जन सुरक्षित निकल कर आये। नीलेश का शव हमारे पीएलजीए को मिला। पुलिस फोर्स के वापस जाते समय इंद्रावति नदी किनारे आइईडी विस्पोट में और एक जवान रमेश हेमला बलिदान हो गये, जो कुछ साल पहले उसी क्षेत्र में एलओएस कमांडर के रूप में काम किये थे।
नक्सली प्रवक्ता विकल्प का कहना है कि सभी ध्यान देने वाली मुख्य बात यह है कि इस सब जोन में हमारे तरफ एक तरफा सीजफायर का घोषणा कर रखे थे। कामरेड बीआर दादा (नम्बाला केशव राव उर्फ बसवा राजू.)के सुझाव पर ही शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहोल के लिए सरकारी सशस्त्र बलों पर कार्रवाइयों पर रोक लगा रखे थे, 40 दिनों में ऐसा एक भी कार्रवाई नहीं किये थे। इस समय में षडय़ंत्र के तहत केंद्र, राज्य सरकार ने मिलकर इतना बड़ा हमला को अंजाम दिया, इसके बारे में एक भी मीडिया वाले सवाल नहीं उठााया। देशवासियों से हम अपील कर रहे है कि कगार के नाम से जारी इस हत्याकांड के पीछे सरकार की असली मंशा को समझिए, हमारे देश और देश के संपदाओं को, पर्यावरण को बचाने के लिए साथ खड़ा हो जायें, देश के संपदाओं को बेचने वालों के विरोध में संगठित होवे।

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