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नक्सलियों ने पर्चा जारी कर दावा किया, जिंदा है नक्सली कमांडर दामोदर उर्फ चोखा राव

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बीजापुर। नक्सलियों के दक्षिण सब ज़ोनल ब्यूरो की प्रवक्ता समता ने प्रेस नोट जारी कर कहा है कि नक्सली कमांडर दामोदर उर्फ चोखा राव जिंदा है। वह बीजापुर जिले के जंगल में तेलंगाना सीमा पर 16 जनवरी को हुए मुठभेड़ में नहीं मरा, नक्सल नेता समता ने पुलिस पर नक्सलियों के नाम से फर्जी प्रेस नोट जारी करने का आरोप लगाया है।
मिली जानकारी के अनुसार, कुछ समय पहले जारी दक्षिण बस्तर डिविजनल कमेटी के सचिव गंगा ने प्रेस नोट जारी कर मुठभेड़ में नक्सली कमांडर दामोदर के मारे जाने की बात कही थी। अब नक्सलियों के ही दक्षिण सब जोनल की प्रवक्ता समता ने उस प्रेस नोट का खंडन करते हुए पुलिस पर फर्जी प्रेस नोट जारी करने का आरोप लगाया है। नक्सलियों के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो प्रवक्ता समता ने पहले जारी हुए प्रेस नोट का खंडन करते हुए कहा है कि, नक्सली नेता दामोदर उर्फ चोखा राव जिंदा है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि कांकेर में हुए मुठभेड़ में 8 नक्सली मारे गए थे और 4 ग्रामीणों की हत्या हुई है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर पहला प्रेस नोट किसका था? क्या पुलिस ने उसे जारी किया या नक्सलियों ने गुमराह किया? विदित हो कि नक्सली कमांडर दामोदर उर्फ चोखा राव स्टेट कमेटी मेम्बर और तेलंगाना स्टेट कमेटी का चीफ था। वह लंबे समय से नक्सल गतिविधियों में शामिल रहा है, उसपर 50 लाख का ईनाम भी घोषित है।

नक्सलियों ने पर्चा जारी कर दावा किया, जिंदा है नक्सली कमांडर दामोदर उर्फ चोखा राव


गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में नक्सली दामोदर राव ऊर्फ चोक्का राव उर्फ मल्लन्ना की मौत को लेकर जो बातें हो रही है, उस पर तेलंगाना में अब तक विराम लगा हुआ है। तेलंगाना पुलिस और वहां का नक्सली संगठन दामोदर की मौत पर खामोश है। किसी की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है। तेलंगाना में दामोदर समर्थक एक नेता ने अपने वाट्सएप स्टेटस में 5 दिन पहले लिखा कि दामोदर अन्ना (बड़े भाई) सुरक्षित हैं। उन्हें लेकर अफवाह फैलाई जा रही है। तेलंगाना स्टेट कमेटी के सचिव हरिभूषण की कोरोना से मौत जून 2021 को हो गई थी। जब उसकी मौत हुई तो उसके अंतिम संस्कार का बकायदा वीडियो और फोटो नक्सलियों ने जारी किया था। दामोदर को हरिभूषण की मौत के बाद ही सचिव बनाया गया था। अब जबकि दामोदर की मौत की खबर छत्तीसगढ़ में चल रही है तो उसके अंतिम संस्कार के वीडियो और फोटो का इंतजार किया जा रहा है। आमतौर पर जब भी कोई बड़ा नक्सली लीडर मारा जाता है तो नक्सली उसकी अंतिम यात्रा को ऐतिहासिक बनाने का प्रयास करते हैं लेकिन दामोदर की मौत की खबरों के बाद ऐसा कुछ नहीं हुआ है।

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