आत्मसमर्पित नक्सली कमांडर दिनेश को नक्सली संगठन ने बताया गद्दार, ग्रामीणों ने कड़ी सजा का सौंपा ज्ञापन

बीजापुर। नक्सली संगठन के पश्चिम बस्तर डिवीजन में डीवीसीएम रहे दिनेश मोडियम ने अपनी पत्नी व बच्चे के साथ पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद अब नक्सलियों के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो की प्रवक्ता समता के हवाले से जारी प्रेस नोट में आत्मसमर्पित नक्सली दंपती पर पैसे लेकर भागने का आरोप लगाया गया है। वहीे दूसरी ओर गंगालूर में रैली निकालकर ग्रामीणों ने आत्मसमर्पित नक्सली कमांडर दिनेश के आत्मसमर्पण का विरोध करते हुए तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर दिनेश मोडियम ने 200 से अधिक हत्याओं को अंजाम देने का आरोप लगाते हुए खूंखार नक्सली कमांडर को आत्मसमर्पण कराकर उसे पुनर्वास नीति का लाभ देने के बजाय उसे कड़ी सजा दिये जाने की मांग की है ।
नक्सलियों का कहना है कि दिनेश मोडियम व उसकी पत्नी गंगालूर एरिया कमेटी की सदस्य कला ताती ने संगठन का पैसा बटोरा और भाग गया। बयान में इसे गद्दारी बताते हुए लिखा गया है कि दिनेश 2004 में कार्यकर्ता के रूप में संगठन में शामिल हुआ। इसके बाद लगातार काम करते हुए वह डीवीसीएम बनाया गया। इसी तरह कला ताती भी 2007 में संगठन में शामिल हुई और सांस्कृतिक टीम में काम करती रही। 2015 में दोनों की शादी हुई। इसके बाद उन्होंने संगठन का पैसा बटोरा और संगठन के साथ धोखाधड़ी करते हुए आत्मसमर्पण कर दिया। वहीे दूसरी ओर गंगालूर में रैली निकालकर ग्रामीणों ने नक्सली कमांडर दिनेश के आत्मसमर्पण का विरोध करते हुए तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन के माध्यम से ग्रामीणों का कहना है कि, दिनेश मोडियम ने 200 से अधिक हत्याओं को अंजाम दिया है और कई घरों को बेघर किया है। कई ग्रामीणों को उसने गांव से बेदखल किया है। जिसके चलते क्षेत्र के करीब 152 गांव आज भी पिछड़े हुए हैं। दिनेश के द्वारा नक्सल संगठन में रहने के दौरान हथियार के बल पर बेरोजगार युवाओं के अलावा पढऩे वाले छात्रों के साथ-साथ रोजगार के लिए जाने वाले मजदूरों को महिलाओं को और बच्चों तक की हत्या किया गया है। इसलिए ऐसे खूंखार नक्सली कमांडर को आत्मसमर्पण कराकर उसे पुनर्वास नीति का लाभ देने के बजाय उसे कड़ी सजा दिया जाना चाहिए।
गंगालूर के पूर्व सरपंच राजू कलमू एवं कमकानार के पूर्व सरपंच प्रवीण उइका का कहना है कि खूंखार नक्सली कमांडर दिनेश का खौफ था। जिसके नाम से लोग दहशत में जीते थे। उसके द्वारा किसी को नहीं बक्शा गया बेकसूर और निर्दोष ग्रामीणों की हत्या की गई ग्रामीणों को गांव से बेदखल किया। मुखबिरी के नाम पर 200 से ज्यादा हत्याएं की गई इसलिए ऐसे व्यक्ति को समर्पण का लाभ देने के बजाय उसके द्वारा अब तक किए गए अपराधों को लेकर एफआईआर दर्ज करा कर उसे कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के खिलाफ नक्सली नेता ऐसी बयानबाजी करते रहते हैं, ताकि वे नक्सली संगठन के अंदर की वास्तविकता को छिपाकर आम जनता के साथ धोखा व फरेब करते रहें, लेकिन अब ये ज्यादा दिनों तक चलने वाला नहीं है। नक्सलियों की वास्तविकता लोगों के सामने आ चुकी है। यही कारण है कि अब बड़े कैडर के नक्सली नेता भी लगातार समाज की मुख्यधारा में शामिल होने आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
