राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण : छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विषय पर जनवरी से दिसंबर 2025 तक होगा सर्वेक्षण

रायपुर। भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय – एनएसओ) द्वारा देशभर में राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण (राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण – एनएसएस) का 80वां दौर प्रारंभ किया गया है। यह सर्वे जनवरी 2025 से दिसंबर 2025 तक चलेगा, जिसका मुख्य विषय स्वास्थ्य रखा गया है।

इस सर्वे का उद्देश्य नागरिकों की स्वास्थ्य स्थिति, इलाज की सुविधा, स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च, दवाओं की उपलब्धता तथा स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच जैसी जानकारियाँ एकत्रित करना है, ताकि भविष्य में केंद्र एवं राज्य सरकारें स्वास्थ्य सेवाओं और जनकल्याण योजनाओं को और अधिक प्रभावी बना सकें। राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण भारत का सबसे बड़ा सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण है, जिसे हर वर्ष अलग-अलग विषयों पर किया जाता है। अब तक 79 दौर के सर्वेक्षण सम्पन्न हो चुके हैं, जिनमें परिवारिक उपभोक्ता व्यय, रोजगार, पेयजल, स्वच्छता, आवास, ऋण, निवेश, कृषक परिवारों की स्थिति, घरेलू पर्यटन व्यय जैसे विषय शामिल रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में भी यह सर्वे 2025 के पूरे वर्ष संचालित होगा। राज्य के सभी जिलों में ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों से न्यादर्श (सैंपल यूनिट्स) चुने गए हैं, जहाँ प्रशिक्षित क्षेत्रीय अन्वेषक घर-घर जाकर परिवारों से सीधे जानकारी ले रहे हैं।

टैबलेट आधारित रियल-टाइम सर्वे प्रणाली
इस बार सर्वेक्षण को और अधिक सटीक एवं पारदर्शी बनाने के लिए कंप्यूटर सहायता प्राप्त व्यक्तिगत साक्षात्कार प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। सर्वे कार्य टैबलेट के माध्यम से रियल-टाइम लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम पर किया जा रहा है।
इस विशेष सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रत्येक सर्वे की जीपीएस लोकेशन स्वत: दर्ज होती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सर्वे निर्धारित क्षेत्र में ही हुआ है। इससे आंकड़ों की विश्वसनीयता और पारदर्शिता बढ़ती है तथा फर्जी प्रविष्टियों की संभावना समाप्त हो जाती है। राज्य के सांख्यिकी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण का यह दौर छत्तीसगढ़ के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविक स्थिति का पता चलेगा और भविष्य की योजनाएँ अधिक प्रभावी बन सकेंगी।

क्यों आवश्यक है यह सर्वे
इस सर्वे से प्राप्त आँकड़े यह समझने में मदद करेंगे कि राज्य और देश में लोगों की सेहत की स्थिति कैसी है, लोग इलाज पर कितना खर्च करते हैं, सरकारी योजनाओं का लाभ आमजन तक कितना पहुँचा है और किन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता है। इन आँकड़ों के आधार पर भारत सरकार और राज्य सरकारें नई स्वास्थ्य नीतियाँ तैयार करती हैं, अस्पतालों का विस्तार करती हैं और जनकल्याणकारी योजनाओं को और अधिक सशक्त बनाती हैं।

सांख्यिकी विभाग ने आम नागरिकों से अपील की है कि जब सर्वे टीम उनके घर पहुँचे, तो सही और पूरी जानकारी प्रदान करें। आपकी दी गई जानकारी गोपनीय रखी जाएगी और केवल नीति निर्माण के लिए उपयोग में लाई जाएगी। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि सर्वेक्षण के नाम पर फर्जी सर्वे या स्कैम से सावधान रहें — केवल सरकार द्वारा अधिकृत क्षेत्र अन्वेषक, जो पहचान पत्र के साथ आते हैं, को ही जानकारी दें। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की यह पहल वैज्ञानिक, पारदर्शी और डेटा-आधारित शासन की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो भारत के सतत विकास और समावेशी नीति निर्माण में अहम भूमिका निभा रहा है।







