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साहू समाज से ज्यादा उडिया समुदाय के लोग रहते हैं छत्तीसगढ़ में – पुरंदर

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00 उत्कल गौरव डॉ. मधु बाबु के प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर मनाया जाएगा उत्कल दिवस
रायपुर। राजधानी रायपुर के मधुसुदन चौक में 1 अप्रैल को उत्कल दिवस के अवसर पर उत्कल गौरव डॉ. मधु बाबु के प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर मनाया जाएगा। इस अवसर पर मुख्य रूप से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव, भाजपा संगठन महामंत्री पवन साय, सांसद बृजमोहन अग्रवाल, विधायक राजेश मूणत, मोतिलाल साहू, सुनील सोनी, महापौर मीनल चौबे, नगर निगम सभापति सूर्यकांत राठौर सहित संगठन के अन्य पदाधिकारी व पार्षदगण उपस्थित रहेंगे।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए उत्तर विधानसभा के विधायक पुरंदर मिश्रा ने बताया कि उड़ीसा प्रान्त को 01 अप्रैल 1936 में पृथक राज्य के रूप में मान्यता मिली। तब आज के छत्तीसगढ़ का एक बड़ा भू-भाग उड़ीसा से पृथक हो गया और ये उडिय़ा भाषा-भाषी के लोग जिसमें विभिन्न जाति के लोगों का समावेश है छत्तीसगढ़ में ही रह गए और आज की स्थिति में पूरे छत्तीसगढ़ में उडिय़ा समुदाय की बात करें तो इनकी कुल जनसंख्या 35 लाख से भी ज्यादा है, जो राज्य की सबसे बड़ी ओबीसी जाति साहू, जिसकी संख्या 30,05,661 है से भी ज्यादा है। इस तरह इन उत्कल वासियों की राजनीतिक महत्ता को भी स्थापित करने की जरूरत थी। हालांकि इसकी शुरुआत 90 के दशक से ही शुरू हो गई थी और छत्तीसगढ़ में पहली बार 1994 में 01 अप्रैल को उत्कल दिवस मनाया गया। तब पुरन्दर मिश्रा महज 30-32 साल के थे और इन्कम टैक्स की प्रैक्टिस किया करते थे। यहीं से उन्होंने उडिय़ा समाज के लोगों को एक जुट करने का प्रयास किया। नतीजन आज वे उसी समाज का प्रतिनिधित्व करते प्रदेश की राजधानी उत्तर विधानसभा से विधायक हैं।
उन्होंने हर साल 1 अप्रैल को उत्कल दिवस मनाया जाता है जिसे ओडिशा दिवस के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इस दिन 1936 को बिहार और उड़ीसा प्रांत से अलग होकर ओडिशा राज्य का गठन हुआ था यह दिन ओडिशा की संस्कृति और इतिहास के जश्न का दिन है। यह ओडिशा की समृद्ध संस्कृति, कला, साहित्य और इतिहास का जश्न मनाने का अवसर है। स्वतंत्र राज्य के लिए संघर्ष की याद में उत्कल दिवस ओडिशा के लोगों की एकता और गौरव की भावना को मजबूत करता है।

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