मोदी ने नोटबंदी के बाद एसआईआर को लेकर जनता को लाईन में लगा दिया – बैज

रायपुर। मोदी नोटबंदी के समय जैसे जनता को लाईन में लगाया था वैसे ही एसआईआर के नाम पर एक बार फिर से जनता को अपनी मतदान बचाने लाईन में लगा दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार एसआईआर के नाम पर प्रदेश की जनता को परेशान कर रही है। आज हर आदमी अपना सब काम छोड़कर अपनी नागरिकता साबित करने तथा मतदाता सूची में अपना नाम बचाने की कवायद में लगा है। आयोग मतदाताओं को अनावश्यक परेशान कर रहा है, जो लोग दशकों से मतदान कर रहे है, उनको भी अपने आपको प्रमाणित करने के लिये मशक्कत करनी पड़ रही है। भाजपा अपनी राजनीति और सत्ता को बचाने के लिये सभी देशवासियो को लाईन में खड़ा कर दी है।
चुनाव आयोग ने बिना प्रशिक्षण दिये ही आनन-फानन में आंगनबाड़ी सहायिकाओं और कार्यकर्ताओं को बीएलओ बनाकर फील्ड में भेज दिया है। आयोग के बीएलओ खुद फार्म की जानकारियों के बारे में दिग्भ्रमित है, जिसके कारण भी मतदाता प्रपत्र नहीं भर पा रहे है। विवाहिता स्त्री के मामले में आयोग की नियमावली में पिता-माता के 2003 के मतदाता सूची को आधार माना गया है, लेकिन जानकारी के आभाव में आयोग के बीएलओ अधिकांश मतदाताओं से उनके पति की जानकारी को भरकर प्रपत्र स्वीकार कर लिया है। अतः आयोग यह स्पष्ट करें कि बीएलओ के द्वारा भराये गये यह फार्म निरस्त नही होंगे।
बैज ने कहा कि आनलाईन एसआईआर फार्म भरने और आफलाईन एसआईआर फार्म में जो दस्तावेज मांगे जा रहे वह भी अलग है। आनलाईन में केवल आधार नंबर से एसआईआर हो जा रहा, जबकि आफलाईन में 2003 के मतदाता सूची में परिजन का नाम अनिवार्य कर दिया गया है। अब आयोग यह भी स्पष्ट करे कि आनलाईन फार्म स्वीकार करने के बाद फिर से आफलाईन फार्म नहीं मांगेगा।
आयोग कहता है कि 97 प्रतिशत मतदाताओं तक गणना प्रपत्र पहुंच गया है, धरातल पर गणना पत्रक 25 प्रतिशत घरों तक नहीं पहुंची है। जिनके घरों तक गणना पत्रक पहुंची है उसमें ये भी एक दो सदस्यों का गणना पत्रक मिल नहीं रहा है। एक ही घर में कई सदस्यों के गणना पत्रक अब तक नहीं पहुंचे है, चुनाव आयोग कागजी दावा कर रहे है। आरक्षित सीटों की संख्या कम करने आरक्षित वर्गो के नाम मतदाता सूची में काटने की साजिश से मतदाता चिंतित है। बीएलओ को भाजपा नेता कार्यकर्ता ठीक से काम करने नहीं दे रहे है। ऐसी शिकायत जगह-जगह से आ रही है। भाजपा के नेता बीएलओ पर अनुचित दबाव डाल रहे है।







