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विधायक बोहरा ने शासन द्वारा पत्रकारों की सुरक्षा, नए स्कूलों की स्वीकृति एवं मछली पालन हेतु अनुदान के संबंध में विधानसभा में उठाया प्रश्न

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पंडरिया। विधायक भावना बोहरा ने आज विधानसभा में प्रदेश के पत्रकारों की सुरक्षा का संवेदनशील विषय सदन के समक्ष रखा और बस्तर संभाग के बीजापुर के दिवंगत पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा के संबंध में प्रश्न किया। इसके साथ ही उन्होंने नए स्कूल की स्थापना और शिक्षा से जुड़े प्रमुख विषयों एवं मछली पालन हेतु किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए संचालित योजनाओं व उनके क्रियान्वयन के संबंध में प्रश्न किया।
भावना बोहरा ने प्रश्न पूछा कि बस्तर संभाग (बीजापुर) के दिवंगत पत्रकार मुकेश चंद्राकार की निर्मम हत्या के बाद प्रदेश के पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर शासन की क्या नीति है? किसी भी दुर्घटना से यदि प्रदेश के जनसंपर्क विभाग के पंजीकृत पत्रकार हताहत होते हैं, तब शासन की ओर से मुआवजे / ईलाज आदि का क्या प्रावधान है? जिसके लिखित में उत्तर दते हुए माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी ने बताया कि छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा अधिनियम-2023 कानून प्रक्रियाधीन हैं। जनसंपर्क विभाग में पत्रकारों को पंजीकृत नहीं किया जाता है। छत्तीसगढ़ संचार प्रतिनिधि कल्याण सहायता नियम-2019 के तहत पत्रकार एवं उनके आश्रित परिवार के सदस्यों को गंभीर बीमारियों के ईलाज के लिए एक वर्ष में न्यूनतम रूपये 10 हजार और अधिकतम रूपये 2 लाख तक की आर्थिक सहायता दी जाती हैं। यदि पत्रकार की असमायिक मृत्यु हो जाती है तो उसके आश्रित परिवार को 5 लाख रुपये तक की राशि दिये जाने का प्रावधान हैं।
भावना बोहरा ने स्कूल एवं शिक्षा से सम्बंधित प्रश्न करते हुए पूछा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रदेश में कितने नए स्कूल स्वीकृत हुए हैं? स्कूल शिक्षा में छत्तीसगढ़ आज देश में किस स्थान पर है? प्रदेश में विद्यार्थियों का स्कूल ड्रॉपआउट रेट क्या है? जिसके लिखित प्रतिउत्तर में माननीय मुख्यमंत्री जी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रदेश में 16 नवीन प्राथमिक शाला स्वीकृत हुई है। नीति आयोग की रैंकिग अनुसार स्कूल शिक्षा में छत्तीसगढ़ राज्य राष्ट्रीय मूल्यांकन रेंज 521-580 के मध्य “आंकाक्षी एक” श्रेणी में है। वर्ष 2023-24 के यूडाईस डाटा के अनुसार प्रदेश में ड्रॉपआउट दर प्राथमिक स्तर में 1.8%, उच्च प्राथमिक स्तर में 5.3% तथा हाईस्कूल स्तर में 16.3% है।
मछली पालन करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए संचालित योजनाओं के बारे में प्रश्न करते हुए विधायक भावना बोहरा ने पूछा कि मछली पालन हेतु शासन द्वारा कौन-कौन सी योजनाएं संचालित हैं? हितग्राहियों को दी जाने वाली छूट/अनुदान राशि एवं कबीरधाम जिले में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कितने किसानों को मछली पालन हेतु 1 जनवरी, 2024 से 1 फरवरी, 2025 तक कितनी अनुदान राशि दी गई है? जिसके लिखित प्रतिउत्तर में माननीय मुख्यमंत्री जी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा शिक्षण प्रशिक्षण हेतु विभागीय 10 दिवसीय प्रशिक्षण के तहत 1250 रु.प्रति हितग्राही, विभागीय 3 दिवसीय प्रशिक्षण हेतु 1000 रु. प्रति हितग्राही, प्रदेश के बाहर अध्ययन भ्रमण हेतु 2500 रु.प्रति हितग्राही और पंजीकृत मछुआ सहकारी समितियों को त्रिवर्षीय अनुदान सहयता के तहत 3 लाख रूप प्रति समिति अनुदान दिया जाता है।
उसी तरह मतस्य पालन प्रसार हेतु मतस्य बीज संवर्धन योजना के तहत प्रति हितग्राही 40 हजार रु., फुटकर मछली विक्रय योजना के तहत प्रति हितग्राही 6 हजार रु., मत्स्याखेट उपकरण सहयता एतु प्रति हितग्राही 10 हजार रु., 05 वर्षीय अंगुलिका संचयन के तहत प्रति हितग्राही 4 हजार रु., झींगा सह मछली पालन हेतु 15 हजार प्रति हितग्राही का प्रावधान है और प्रधानमंत्री मतस्य संपदा योजना अंतर्गत कुल 9 योजनाओं का संचालन किया जा रहा है जिससे मछली पालन करने वाले हितग्राहियों को समय-समय पर लाभ मिल रहा है। कबीरधाम जिले में अनुसूचित जाति के 96 किसानों एवं अनुसूचित जनजाति के 253 किसानों को कुल राशि रूपये 186.19667 लाख का अनुदान दी गई है।

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