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Mann Ki Baat: PM मोदी ने की मन की बात, इन मुद्दों को लेकर की चर्चा

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Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात‘ कार्यक्रम के 110वें एपिसोड को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं देशवासियों को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है। 2024 का चुनाव, दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ। मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रकिया से जुड़े हर व्यक्ति को इसके लिए बधाई देता हूं।

PM मोदी ने कहा कि आज 30 जून का ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन ‘हूल दिवस’ के रूप में मनाते हैं। यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था। वीर सिद्धो-कान्हू ने हजारों संथाली साथियों को एकजुट करके अंग्रेजों का जी-जान से मुकाबला किया, और जानते हैं ये कब हुआ था? ये हुआ था 1855 में यानी ये 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी दो साल पहले हुआ था। तब झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठा लिया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आपसे पूछूं कि दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता कौन सा होता है तो आप जरूर कहेंगे – “मां”। हम सबके जीवन में ‘मां’ का दर्जा सबसे ऊंचा होता है। मां हर दुख सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है। हर मां अपने बच्चे पर हर स्नेह लुटाती है। जन्मदात्री मां का ये प्यार हम सब पर एक कर्ज की तरह होता है जिसे कोई चुका नहीं सकता। हम मां को कुछ दे तो सकते नहीं, लेकिन और कुछ कर सकते हैं क्या ? इसी सोच में से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है – ‘एक पेड़ माँ के नाम’। मैंने भी एक पेड़ अपनी मां के नाम लगाया है।

मां के नाम पर पेड़ लगाने की अपील
PM नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैंने सभी देशवासियों से, दुनिया के सभी देशों के लोगों से ये अपील की है कि अपनी मां के साथ मिलकर या उनके नाम पर एक पेड़ जरूर लगाएं। मुझे ये देखकर बहुत खुशी हो रही है कि माँ की स्मृति में या उनके सम्मान में पेड़ लगाने का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है। हर कोई अपनी मां के लिए पेड़ लगा रहा है, चाहे वो अमीर हो या गरीब, चाहे वो कामकाजी महिला हो या गृहिणी। इस अभियान ने सबको मां के प्रति अपना स्नेह जताने का समान अवसर दिया है। वो अपनी तस्वीरों को #Plant4Mother और #एकपेड़मांकेनाम के साथ साझा करके दूसरों को प्रेरित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ में आज मैं आपको एक खास तरह के छातों के बारे में बताना चाहता हूं। ये छाते तैयार होते हैं हमारे केरला में। वैसे तो केरला की संस्कृति में छातों का विशेष महत्व है। छाते वहां कई परंपराओं और विधि-विधान का अहम हिस्सा होते हैं। लेकिन मैं जिस छाते की बात कर रहा हूं, वो हैं ‘कार्थुम्बी छाते’ और इन्हें तैयार किया जाता है केरला के अट्टापडी में। इन रंग-बिरंगे छातों को केरला की हमारी आदिवासी बहनें तैयार करती हैं। आज देशभर में इन छातों की मांग बढ़ रही हैं। इनकी Online बिक्री भी हो रही है। इन छातों को ‘वट्टालक्की सहकारी कृषि सोसाइटी’ की देखरेख में बनाया जाता है। इस सोसाइटी का नेतृत्व हमारी नारीशक्ति के पास है।

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