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मां करेला भवानी मंदिर: एक पवित्र स्थल का इतिहास और महत्व

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रायपुर। मां करेला भवानी मंदिर छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ क्षेत्र में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह मंदिर डोंगरगढ़ से 14 किमी दूर उत्तर दिशा में भण्डारपूर गांव में स्थित है और 1100 सीढ़ियों के ऊपर स्थित है। मंदिर का इतिहास लगभग 200 साल पुराना है, जब एक कन्या ने नारायण सिंह कंवर नाम के एक गौटिया को अपने विश्राम के लिए जगह मांगी थी। बाद में वह कन्या पहाड़ के ऊपर एक मकोईया की झाड़ी के नीचे जाकर बैठ गई और नारायण सिंह को मंदिर बनाने के लिए कहा। इसके बाद जब मंदिर बनाने के लिए खुदाई की गई, तो एक पाषाण प्रतिमा निकली, जिसे मां भवानी के रूप में स्थापित किया गया। मंदिर में भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और नवरात्रि में यहां मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मंदिर की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण भक्तों को आकर्षित करता है। मां करेला भवानी की पूजा करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंदिर का नाम करेला भवानी इसलिए रखा गया है, क्योंकि यहां की जमीन पर बिना बीज के करेले अपने आप ही निकल आते हैं। इस मंदिर की मान्यता और महत्व के कारण दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं और मां करेला भवानी की पूजा करते हैं।

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