लोकसभा चुनाव : आदिवासी हल्बा समाज से मिला टिकट तो जीत पक्की, देखें कांकेर लोकसभा का सर्वेक्षण
संपादक राहुल चौबे की सर्वे रिपोर्ट
आदिवासी हल्बा समाज से बने थे निर्दलीय सांसद, 25% मतदाता हल्बा आदिवासी होने के बाद भी प्रत्याशी क्यों नहीं,
बालोद जिले के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कब तक नाम न झापने पर कांग्रेस भाजपा के आम कार्यकर्ता पदाधिकारी
लोकसभा चुनाव घोषणा के पूर्व छत्तीसगढ़ में राजनीतिक बाजार गर्म है पूरे छत्तीसगढ में लोकसभा की बाते करे तो आज बीजेपी के पास 9 सीट और कांग्रेस के पास 2 सीट है छत्तीसगढ के बस्तर की बात करे तो एक सीट कांग्रेस एक सीट बीजेपी के पास हैं 2019 के लोकसभा चुनाव मे बहुत ही कम मतों से बीजेपी के प्रत्यशी कांकेर लोकसभा में जीत दर्ज की और कांकेर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी .
बाते अगर दोनों लोकसभा सीट की करे तो दोनों सीट आदिवासी बाहुल्य मतदाता क्षेत्र हैं जिसमें हल्बा और गोंड आदिवासी की बाहुलता है हल्बा और गोड समुदाय के ही कई नेता बीजेपी, काग्रेस से दावेदारी कर रहे है। वहीं हल्बा आदिवासी समाज के लोगों की माने तो आज तक हल्बा आदिवासी समाज से किसी भी राष्ट्रीय पार्टी ने टिकट नहीं दी है। जबकि glibs.in की सर्वे की माने तो संपादक राहुल चौबे की टीम का मानना है कि इस बार यदि हल्बा समाज से किसी सामाजिक व्यक्ति को कांकेर लोकसभा से प्रत्याशी बनाया जाता है तो हल्बा समाज विजय दिलाने के लिए तन मन धन से प्रयास करेगा और उनकी एकतरफा जीत होगी। यह बात भी गौर करने वाली है कि इससे पहले हल्बा समाज से ही स्वर्गीय सुंदर झाडुराम रावटे जी चौथी लोकसभा में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप ने जीत हासिल की थी।
क्या कहती है पब्लिक : कांकेर लोकसभा में 8 विधानसभा है जिसमे आदिवासी हल्बा समाज की 390000 मतदातो के साथ बाहुलता है! विधानसभा चुनाव 2023 में सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र से जुड़े वैयक्ति को टिकिट नही देने से बीजेपी को बालोद, मानपुर मोहला, धमतरी और कांकेर जिला में सामाजिक नाराजगी देखने मिला है जिसमे ज्यादातर सीटों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है कांकेर लोकसभा के सीट से हल्बा समाज के सामाजिक व्यक्ति को मैदान में उतरा जाता है तो राजनादगांव, कांकेर , बस्तर,महासमुंद, दुर्ग लोकसभा के सीटो पर वर्तमान मे और आने वाले विधानसभा चुनावों मे भी मानपुर, खुज्जी ,बालोद ,डोंडी लोहारा, गुण्डरदेही ,भानुप्रतापपुर शिहावा नगरी एवम् अन्य प्रदेशों में राष्ट्रीय दलों को अन्य सीटो में इसका सामाजिक लाभ मिलेगा ।
यह बात भी विशेष ध्यान देने वाली है कि कांकेर लोकसभा के लिए कभी भी बालोद जिला से प्रत्याशी नहीं बनाया गया जिसके कारण बालोद जिला के आम मतदाता भी नाराजगी जाहिर करते रहते हैं जिसके कारण भाजपा नुकसान मे रहती है. आदिवासी समुदाय में हल्बा समाज ही सनातन और हिंदू धर्म को सबसे ज्यादा मानता है ,