चोरी के गहने खरीदने वाला ज्वेलरी संचालक गिरफ्तार, पढ़े पूरी खबर

खैरागढ़। शहर के चर्चित सराफा व्यवसायी और वर्धमान ज्वेलर्स के संचालक वैभव लूनिया को राजनांदगांव पुलिस ने चोरी के जेवरात खरीदने के आरोप में गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपी के पास से लाखों रुपये के चोरी के गहने बरामद किए हैं। यह कार्रवाई दो अलग-अलग घरों में हुई नकबजनी की जांच के दौरान सामने आई, जब पकड़े गए चोरों ने वैभव लूनिया का नाम उगला। वर्धमान ज्वेलर्स के चमकते शो-रूम के पीछे का सच जब पुलिस ने उजागर किया तो खैरागढ़ शहर स्तब्ध रह गया। वर्षों से प्रतिष्ठा का मुखौटा पहनकर सोने-चांदी का कारोबार कर रहा वर्धमान ज्वेलर्स अब चोरी के गहनों की खरीद-फरोख्त के आरोप में घिर चुका है।
राजनांदगांव एसपी मोहित गर्ग के निर्देशन में हुई इस कार्रवाई में दो गंभीर नकबजनी कांडों की तह तक पहुंचते हुए जब आरोपी चोरों से पूछताछ की गई, तब बड़ा खुलासा सामने आया। गिरफ्तार चोरों ने कबूल किया है कि चोरी के जेवरात उन्होंने खैरागढ़ के सराफा कारोबारी वैभव लूनिया को बेचे थे, जिन्होंने उसे बाजार में खपाने की तैयारी कर रखी थी।
पहला मामला तुलसीपुर बख्तावर चाल, राजनांदगांव निवासी मोहम्मद शाहरूख खान के घर में 7 जून 2025 को हुई सेंधमारी का है। वे परिवार सहित रिश्तेदारी में गए थे, तभी अज्ञात चोरों ने घर का ताला तोड़कर 2.30 लाख रुपए की चोरी को अंजाम दिया।
दूसरा मामला 13 जून को दर्ज हुआ, जिसमें टांकापारा निवासी बेला प्रसाद के घर से चोरों ने 58 हजार रुपए के गहने और नगदी चुरा लिए थे। पुलिस की संयुक्त टीम ने जब सीसीटीवी फुटेज खंगाले और तकनीकी व मुखबिर तंत्र का सहारा लिया तो न केवल चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, बल्कि चोरी के गहनों की खरीद-फरोख्त में लिप्त व्यापारी की भी पहचान हुई। आरोपी दीपक बघेल, लालचंद उर्फ चंद्रकुमार वर्मा और दो नाबालिगों से बरामद जेवरात के माध्यम से इस गिरोह की कड़ी वर्धमान ज्वेलर्स तक पहुंची।
पूछताछ के दौरान वैभव लूनिया ने यह स्वीकार किया कि उसने उक्त चोरी के गहने 40 हजार रुपए में खरीदे थे। पुलिस ने उसके पास से चुराए गए गहनों की बरामदगी की है। इसके बाद उसे धारा 317(2) बीएनएस के तहत गिरफ्तार कर 29 जुलाई को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
वर्धमान ज्वेलर्स खैरागढ़ में सराफा कारोबार की एक विश्वसनीय पहचान माना जाता था। ऐसे में वैभव लूनिया की गिरफ्तारी न सिर्फ खैरागढ़ के व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए चेतावनी है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि क्या यह पहली बार था, या फिर एक लंबे समय से चोरी का यह ‘सुनियोजित व्यापार’ जारी था? पुलिस का दावा है कि इस गिरोह से जुड़े और भी चेहरे जल्द सामने आ सकते हैं। जांच जारी है। यह सिर्फ गिरफ्तारी की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस तंत्र पर सवाल है, जो सोने की चमक में छिपे काले धंधे को अनदेखा करता आया है।
