धमतरी जिले का ईको टूरिज्म का मॉडल बना जबर्रा, पर्यटकों का स्वागत 20 सदस्यों का समूह जबर्रा हिलर्स करते हैं
धमतरी। शांत घने जंगल के बीच पहाड़ में ट्रेकिंग का मजा, कलकल बहती नदी के किनारे सैर, फुर्सत के पल बिताने रेस्ट हाउस, वन औषधियों से उपचार का तरीका बताने वैद्य, पर्वतों की सैरगाह का आनंद देने गाइड, आदिवासी संस्कृति की झलक दिखाने लोगों का समूह और आदिवासी व्यंजनों की मिठास, यह सब कुछ शहर के कोलाहल से दूर धमतरी जिले के वनांचल नगरी विकासखण्ड के जबर्रा में है। इसे प्रशासन के द्वारा ईको टूरिज्म के तौर पर विकसित किया गया है। यह जिला मुख्यालय धमतरी से ग्राम जबर्रा 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
ईको फ्रेंडली टूरिज्म का सीधा अर्थ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना पर्यटन का विकास करना है, फिर प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ दिया गया है। खास बात है कि प्रकृति का सान्निध्य लेने ना केवल देश के बल्कि विदेशों से भी पर्यटक यहां पहुंचते हैं। यहां दिल्ली, पुणे, बेंगलुरू, नागपुर, रायपुर, राजस्थान सहित विदेशी नीदरलैंड, ऑष्ट्रेलिया, अमेरिका, पोलैंड, जापान, लंदन और श्रीलंका से पर्यटक आते हैं। यहां पर्यटकों की सुविधा के लिए 20 सदस्यों का समूह बना है, जिन्हें प्रशिक्षण दिया गया और इन युवाओं को जबर्रा हिलर्स नाम से जाना जाता है। इन युवाओं द्वारा जबर्रा पहुंचने वाले पर्यटकों को ना केवल ठहरने, खाने और गाईड की व्यवस्था करता है, बल्कि पर्यटकों का जोर-शोर से स्वागत किया जाता है।
पर्यटकों को जबर्रा के पर्वत, नदी की सैर कराने के साथ ही वनौषधि की जानकारी दी जाती है। इससे इन युवाओं का आय का जरिया तो बना ही है, बल्कि पर्यटकों को सुविधा भी मिल रही है। वनांचल नगरी के जबर्रा में 300 से अधिक प्रकार की वनौषधि मिलती है। जबर्रा का रोमांच दुगली से जबर्रा का 13 किलोमीटर का रास्ता पकडऩे के साथ ही शुरू हो जाता है। घने जंगलों के बीच बसा जबर्रा जंगल 5352 हेक्टेयर में फैला हुआ है, जहां 300 से अधिक प्रकार की वनौषधि है।