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सिंचाई कूप के साधन ने बदली राजूलाल की किस्मत, महात्मा गांधी नरेगा से मिला सुखद परिणाम

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कवर्धाl यह कहानी है महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से लाभान्वित हुए हितग्राही राजूलाल साहू पिता चमरू साहू जो ग्राम पंचायत बामी,जनपद पंचायत सहसपुर लोहारा, जिला कबीरधाम के रहने वाले हैं। श्री राजूलाल अब अपने गाँव मे अन्य ग्रामीणों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। ग्राम सभा से मिली जानकारी ने उनके लिए बहुत से नए रास्ते खोल दिए। ग्राम पंचायत बामी द्वारा श्री राजूलाल के मांग पर मनरेगा योजना से सिंचाई कूप का निर्माण कार्य 2 लाख 52 हजार रुपए की लागत से स्वीकृत कराया गया। कार्य की स्वकृति ने किसान श्री राजूलाल के लिए नई उम्मीद की किरण जगा दी। निर्माण कार्य 16 मार्च 2024 से प्रारंभ होकर 15 जुलाई 2024 को पूरा हुआ। कुल 2 लाख 52 हजार रुपये की लागत से तैयार यह कूप आज किसान की खुशहाली का आधार बन चुका है।मनरेगा के तहत निर्मित यह सिंचाई कूप ग्राम पंचायत बामी में ग्रामीण विकास का एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है। इससे न केवल रोजगार सृजित हुआ,बल्कि स्थायी जल-संरचना ने किसान की किस्मत बदल दी। यह कार्य साबित करता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में योजना और सही दिशा में किया गया विकास कार्य कैसे लोगों के जीवन में वास्तविक परिवर्तन ला सकता है।
कूप निर्माण से मिल रहा फायदा!
पहले पानी की कमी से खेतों में सीमित उत्पादन हो पाता था। वर्षा पर निर्भर खेती के चलते अक्सर फसलें प्रभावित होती थीं और किसान राजूलाल को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता था। लेकिन महात्मा गांधी नरेगा योजना के इस कार्य ने परिस्थितियां पूरी तरह बदल दी है। अब पानी साल के बारहों महीने रहता है जिसके कारण पूरे साल खेती किसानी लगी रहती है। पर्याप्त पानी उपलब्ध होने से ना केवल फसल उत्पादन में वृद्धि हुई, बल्कि किसान ने रबी सीजन में भी फसल लेना शुरू कर दिया। परिवार की आय में बहुत सुधार हुआ है और किसान अब दोहरी फसल लेकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे हैं।
लाभार्थी राजूलाल साहू कहते हैं
मनरेगा से बने कूप ने मेरी खेती को नई जान दी है। पहले पानी के लिए हम वर्ष पर निर्भर थे, अब मेरे पास सिंचाई का अपना साधन है। मेरे पास दो एकड़ जमीन है जिसमे खरीफ फसल धान 48 क्विंटल और रबी फसल 2024-25 मे गेहूँ 16 क्विंटल उत्पादन हुआ है। कूप निर्माण के पहले धान 36 क्विटल होता था और रवि फसल के लिए दूसरे के बोर वेल से पानी लेना पड़ता था।अब मेरा खुद का कूप है जिसमे मै पंप की सहायता से खेत की सिंचाई कर रहा हु।अब फसल उत्पादन बढ़ रहा है,आय बढ़ रही है और जीवन में खुशहाली आई है।आमदनी बढ़ाने से पारिवारिक जरुरतो को पूरा करना पहले से आसान हों गया है।
कबीरधाम ज़िले में हों रहे कूप निर्माण पर एक नजर
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से वित्तीय वर्ष 2024-25 में 147 हितग्राहियों की मांग पर 3 करोड़ 54 लाख रुपए से अधिक की लागत पर सिंचाई कूप निर्माण कार्य स्वीकृत किया गया। इसी तरह चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में अभी तक 86 हितग्राहियों के लिए कूप निर्माण स्वीकृत हुआ है जिसकी लागत राशि 2 करोड़ 12 लाख रुपए से अधिक है। इन सभी कार्यों में हितग्राहियों को बड़ी मात्रा में रोजगार का अवसर भी मिल रहा है साथ ही सिंचाई का साधन घर में ही उपलब्ध हो रहा है। बहुत से सिंचाई कप का निर्माण पूरा हो चुका है और हितग्राही इसकी सहायता से अपने खेतो एवं बाड़ी की सिंचाई कर फसल वृद्धि का लाभ उठा रहे हैं। यह कहा जा सकता है कि कूप की सहायता से स्थानीय कृषक आर्थिक तरक्की की ओर अग्रसर हो रहे है।

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