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बौद्धिक संपदा एवं शोध सम्बन्ध प्रत्यक्ष: प्रो. शुक्ला

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रायपुर। महंत लक्ष्मी नारायण दास महाविद्यालय एवं विवेकानंद महाविद्यालय रायपुर के संयुक्त तत्वाधान में बौद्धिक संपदा अधिकार एवं शोध विषय पर 6 दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ इस अवसर पर डॉ सच्चिदानंद शुक्ला कुलपति पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर प्रो संजय कुमार विभाग अध्यक्ष सूचना एवं तकनीकी विभाग पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर एवं डॉ देवाशीष मुखर्जी प्राचार्य महंत लक्ष्मी नारायण दास महाविद्यालय डॉक्टर मनोज मिश्रा प्राचार्य विवेकानंद महाविद्यालय आदि विशेषज्ञों की उपस्थिति रही वही कार्यशाला में दोनों महाविद्यालय के शैक्षणिक स्टाफ और रिसर्च स्कॉलर शामिल हुए। आयोजन में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सच्चिदानंद शुक्ला ने कहा की पूरी दुनिया में भारतीय मेघा की पहचान कर उपयोग किया जा रहा है। लेकिन देश के अंदर छुपी हुई प्रतिभाओं का उपयोग सही और व्यवस्थित क्रम में नहीं हो पा रहा है। विश्व के अन्य देश भारतीय प्रतिभाओं का सामाजिक आर्थिक सामरिक सभी स्तर पर टैलेंट का पहचान कर संरक्षण देकर उपयोग कर रहे हैं। लेकिन पिछले एक दशक के अंदर भारत के अंदर भी आईपीआर की पहचान को व्यवस्थित क्रम देने की शुरुआत हुई है और एक प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है।

ताकि ऐसी प्रतिभाओं को भारतीय मंच में भी प्रोत्साहन दिया जा सके उन्होंने कहा कि रविशंकर विश्वविद्यालय कैंपस में पढ़ने वाले विद्यार्थी एक स्टैंडर्ड का रिसर्च पेपर तैयार कर रहे हैं ऐसे विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय प्रबंधन पहचान दिलाने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है उनका कहना था कि अपनी पहचान बढ़ाने के लिए स्वयं कदम बढ़ाना चाहिए डॉक्टर शुक्ला ने कहा की बीज डाले बिना पेड़ की कल्पना नहीं की जा सकती इसलिए बीज डालें और सुंदर कल्पना के साथ वृक्ष उपयोगिता प्राप्त करें उन्होंने कहा कि रवि शंकर विश्वविद्यालय एक अंब्रेला है जो सभी शाखों को पुष्पित पल्लवित करने की दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है उन्होंने अपील की।

शोध के क्षेत्र में जिन महाविद्यालय में भी काम हो रहे हैं उन कामों को विद्यार्थियों से जोड़ा जाए और बताया जाए वहीं आईटी एक्सपर्ट संजय कुमार ने बौद्धिक संपदा अधिकार एवं शोध विषय पर विस्तार से जानकारी रखी उन्होंने बताया कि इस अधिकार के अंतर्गत किस किन देशों में क्या-क्या कानूनी पक्ष है कैसे व्यक्तिगत प्रयास के द्वारा तैयार कार्य को पेटेंट कराया जा सकता है उसके लिए क्या प्रावधान होते हैं कहां पर अपील करनी होती है क्या नियम होते हैं कैसे संचालित किया जा सकता है। आदि बातें रखी उन्होंने आईपीआर से जुड़े चर्चित प्रकरणों का हवाला देखकर यह समझाने का प्रयास किया की आईपीआर कितना महत्वपूर्ण है। इसी कड़ी में डॉक्टर संजय कुमार ने की केस स्टडी रसगुल्ला वार पश्चिम बंगाल विरुद्ध उड़ीसा नमूना पेश किया और समझाया कि किस तरह से यह आईपीआर महत्वपूर्ण है उनके द्वारा दार्जिलिंग वर्सेस होंडा का भी प्रकरण पेश किया गया डॉक्टर संजय कुमार ने कहा कि बौद्धिक संपदा की चोरी रोकने के लिए यह कानूनी अधिकार तैयार किया जा रहे हैं ताकि शोधकर्ताओं के कामों को एक बेहतर प्लेटफार्म में सुरक्षा प्रदान की जा सके उन्होंने बताया कि शोध प्रबंध सार्वजनिक होने पर पेटेंट नहीं कराया जा सकता साथ में कहा कि संसाधन है पर शिक्षा नहीं तो विकास संभव नहीं हो पाएगा की ठीक इसी तरह से शिक्षा है पर संसाधन नहीं तो विकास नहीं हो पाएगा महत्व है कि दोनों ही चीज एक साथ उपलब्ध हो कार्यक्रम में महंत लक्ष्मी नारायण दास महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर देवाशीष मुखर्जी ने विषय पर विस्तारित बातचीत राखी उन्होंने बताया कि आज का कार्यशाला का विषय कितना प्रासंगिक है और क्यों इसकी उपयोगिता है और किसी एक तरह से व्यवस्थित क्रम में उसे आगे बढ़ाया जा सकता है वहीं आयोजन में विवेकानंद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ मनोज मिश्रा ने बातचीत रखी और विषय को बेहद उपयोगी बताया और उपस्थित वक्ताओं के वक्तव्य को भी काफी महत्वपूर्ण कहा बता दे कि यह कार्यशाला 6 दिनों तक निरंतर विषय पर आयोजित है जिसमें आने वाले दिनों में कई विशेषज्ञ जुड़ेंगे और विस्तार से आईपीआर पर बातचीत रखेंगे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों पर एक कार्यशाला चल रही है आयोजन में कार्यशाला का संचालन प्रोफेसर डॉक्टर श्रुति तिवारी ने किया और आभार प्रदर्शन डॉक्टर मेघा सिंह ने दिया कार्यशाला में दोनों महाविद्यालय के प्राध्यापकगण व शोधार्थी सम्मलित हुए

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