इंद्रावती नदी बचाओ संघर्ष समिति कल जल संसाधन मंत्री, सांसद व विधायकों से मिलेंगे

00 पर्याप्त पानी नहीं मिलने पर मंत्री, सांसद और विधायकों के निवास का करेंगे घेराव
जगदलपुर। बस्तर जिले के जनपद पंचायत बस्तर के ग्राम नारायणपाल में इंद्रावती नदी बचाओ संघर्ष समिति द्वारा मंगलवार को 22 गांवों के किसानों की बैठक हुई। इस बैठक में सैकड़ों किसानों ने सर्व सहमति से निर्णय लिया गया है कि बुधवार को जल संसाधन मंत्री, सांसद और विधायकों से मुलाकात करेंगे। जिसके बाद पर्याप्त रूप से पानी नहीं मिलने पर जल संसाधन मंत्री, सांसद और विधायकों के निवास का घेराव करेंगे। इसके साथ ही जल संसाधन विभाग और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ संघर्ष तेज करेंगे। बैठक में किसानों ने अपनी समस्याओं को बताते हुए कहा कि वे पिछले 28 फरवरी को बस्तर कलेक्टर, संभाग आयुक्त, सांसद व जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन दिया गया लेकिन आज तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
इंद्रावती नदी बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष लखेश्वर कश्यप ने कहा कि किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी खेती बर्बाद हो रही है, और जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है। जल संसाधन विभाग की लापरवाही के कारण नदी के पानी का सही तरीके से प्रबंधन नहीं हो पा रहा है। नदी का पानी न तो ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच रहा है और न ही कृषि के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इसके चलते खेतों में सूख रहे हैं और किसानों की स्थिति गंभीर हो गई है। बैठक में ग्राम पंचायत बड़े चकवा के उप सरपंच पूरन सिंह कश्यप ने कहा कि बस्तर की जीवन रेखा मानी जाने वाली इंद्रावती नदी सूख चुकी है। इसके कारण आस-पास के किसानों और ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नदी का पानी कम होने से न केवल खेती बाड़ी प्रभावित हो रही है, बल्कि पशुपालन, पीने का पानी और अन्य आवश्यकताओं के लिए भी संकट गहरा गया है। जल स्रोत के सूखने के बावजूद सरकार और प्रशासन का कोई ध्यान नहीं जा रहा है।
वहीं दूसरी ओर बीजू जनता दल के लोगों द्वारा इंद्रावती जोरा नाला संगम से पानी के छोडऩे को लेकर किए जा रहे विरोध का असर दूसरे दिन भी रहा। हालत यह रही कि ओडिशा की सरकार के द्वारा किए जा रहे बंधान का काम बंद रहा है। इंद्रावती जोरा नाला विवाद को लेकर अब तक हुए काम के शुरू और बंद करने को लेकर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस मामले पर लगातार नजर रखी जा रही है। इंद्रावती जोरा नाला विवाद अब समाप्त हो रहा है, जिसका फायदा बस्तर के किसानों और यहां के लोगों को मिलेगा।
विदित हो कि बस्तर के किसानों की मांग को लेकर इंद्रावती नदी बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य लगातार कोशिश कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले ओडिशा और छग की सरकार ने किसानों की समस्या को गंभीरता से लेते हुए जोरानाला के पानी को इंद्रावती नदी में डायवर्ट करने का फैसला लिया। इसके तहत सीमेंट की बोरियों में रेत भरकर बोरी बंधान किया जा रहा था, जानकारी मिलते ही बीजू जनता दल के नेता और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में पहुंचे ओडिशा की सरकार के द्वारा किए जाने वाले काम का विरोध किया । इंद्रावती नदी बचाओ संघर्ष समिति के सचिव सुभाष कश्यप ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि किसानों के संघर्ष से जल संसाधन विभाग और सरकार को अपनी जिम्मेदारी का अहसास होगा और वे किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेंगे। किसानों का यह संघर्ष सिर्फ उनके अधिकारों की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह एक बड़े पर्यावरणीय मुद्दे का भी हिस्सा है। इंद्रावती नदी का संरक्षण न सिर्फ किसानों के लिए जरूरी है, बल्कि यह समग्र बस्तर क्षेत्र की पर्यावरणीय स्थिति के लिए भी महत्वपूर्ण है।
इस दौरान इंद्रावती नदी बचाओ संघर्ष समिति के वीरसिंह बघेल, आयतूराम कश्यप, सुभाष कश्यप, हेमराज बघेल, गंगा बघेल, जलंधर कश्यप, पूरन सिंह कश्यप, कृपालु कश्यप, बुधूराम कश्यप, जयमन मौर्य, गोवर्धन सेठीया, बुदराम मौर्य, सुदरू सेठीया, धनसिंह सेठिया आदि उपस्थित थे।
