ChhattisgarhMiscellaneous

बदमाश की मौत मामले में हाईकोर्ट ने दिया राज्य शासन को दो लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश

Share

बिलासपुर। पुलिस की हिरासत में आदतन बदमाश की मौत के मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने राज्य शासन को दो लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश जारी किया है।
यह घटना 19-20 जुलाई 2024 की है। आदतन बदमाश एवं गंभीर वारदातों में शामिल रहे सूरज हठथेल को सिविल लाइन कोरबा की पुलिस ने हिरासत में लिया था। बताया जाता है कि गंभीर रुप से घायल होने पर सूरज हठथेल की मौत हो गई थी। इस पर सूरज की मां प्रेमा हठथेल, 49 वर्ष, निवासी बुधवारी बाजार ने अपने अधिवक्ता अंशुल तिवारी के माध्यम से याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अंशुल तिवारी व प्रतिवादी राज्य की ओर से उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने अपना पक्ष रखा। इस रिट याचिका के माध्यम से याचिकाकर्ताओं ने हिरासत में हुई मौत की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी को निर्देश देने, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट, संबंधित पुलिस स्टेशनों से सीसीटीवी फुटेज और याचिकाकर्ता को अन्य संबंधित दस्तावेज तुरंत उपलब्ध कराने तथा अपने बेटे की हिरासत में हुई मौत के लिए सार्वजनिक कानून उपाय के तहत याचिकाकर्ता को पर्याप्त मौद्रिक मुआवजा देने की गुहार लगाई।

आदेश में कहा गया कि तथ्य और कानून की स्थिति के अनुसार, हमें यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि याचिकाकर्ता, जो मृतक सूरज हठथेल की मां है, अपने बेटे की गलत तरीके से हुई हानि के लिए मुआवजे की हकदार है। राज्य उन कर्मचारियों का नियोक्ता होने के नाते, जिनकी लापरवाही के कारण मृतक की मृत्यु हुई। मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, विशेष रूप से इस तथ्य को कि राज्य के कर्मचारियों की ओर से लापरवाही के कारण 27 वर्ष की आयु में मृतक सूरज हथठेल की असामयिक मृत्यु के कारण याचिकाकर्ता ने संपत्ति, प्यार और स्नेह और निर्भरता खो दी है। लिहाजा न्यायालय ने प्रतिवादी राज्य सरकार को आठ सप्ताह की अवधि के भीतर याचिकाकर्ता को दो लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश जारी किया है। आदेश की तिथि तक राशि प्रदान नहीं किए जाने पर नौ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज लगेगा।
सचिव, गृह एवं पुलिस मामले, छत्तीसगढ़ सरकार या पुलिस महानिदेशक, छत्तीसगढ़ निर्धारित समय सीमा के भीतर दिए गए मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित करेंगे। परिणामस्वरूप, रिट याचिका ऊपर बताई गई सीमा तक स्वीकार की जाती है। राजिस्ट्रार (न्यायिक) को इस आदेश की एक प्रति सचिव, गृह एवं पुलिस मामले, छत्तीसगढ़ सरकार, रायपुर और पुलिस महानिदेशक, छत्तीसगढ़, रायपुर को भेजने का निर्देश जारी किया गया है।

GLIBS WhatsApp Group
Show More
Back to top button