कांकेर में धर्मांतरित आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पद से हटाने प्रस्ताव पारित कर साैंपा ज्ञापन

कांकेर। जिले के आदिवासी अंचलों में धर्मांतरण को लेकर असंतोष लगातार गहराता जा रहा है। अब यह विरोध आंगनबाड़ी और मितानिन तक पहुंच गया है। भानुप्रतापपुर विकासखंड के ग्राम परवी में ग्रामसभा ने धर्मांतरित आंगनबाड़ी सहायिका और मितानिन को पद से हटाने का प्रस्ताव पारित किया है । सरपंच के नेतृत्व में ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है । विरोध के चलते ग्रामीणों ने पहले बच्चों को आंगनबाड़ी भेजने से इन्कार कर दिया था, हालांकि बाद में निर्णय बदलते हुए बच्चों को आंगनबाड़ी भेजना शुरू कर दिया। पालकों का कहना है कि उन्हें आशंका है कि बच्चों को बहकाकर उनका धर्मांतरण कराया जा सकता है। बस्तर संभाग के कमिश्नर डोमन सिंह ने कहा कि यह कलेक्टर के अधिकार क्षेत्र का मामला है। कलेक्टर अपने स्तर पर नियमानुसार निर्णय ले सकते हैं।
बुधवार को ग्राम परवी में आयोजित ग्रामसभा में मतांतरित आंगनबाड़ी सहायिका और मितानिनों को पद से हटाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। मतांतरित परिवारों के विरुद्ध ग्राम और पंचायत स्तर पर की गई कार्रवाई की जानकारी कलेक्ट्रेट को दी गई है। ग्रामीणों का कहना है कि धर्मांतरण के बावजूद गोंड़ परिवारों द्वारा आरक्षण सहित शासकीय सुविधाओं का लाभ लिया जा रहा है, जिसे तत्काल बंद किया जाए। सरपंच राजेंद्र ध्रुव ने चेतावनी दी कि एक सप्ताह के भीतर संबंधित कर्मियों को पद से नहीं हटाया गया, तो बच्चे आंगनबाड़ी नहीं भेजे जाएंगे । ग्रामसभा कार्रवाई पंजी में आंगनबाड़ी सहायिका फुलबती मंडावी और मितानिन पारबती कोमरा को हटाने का प्रस्ताव दर्ज है। वहीं दो दिसंबर 2025 को मतांतरित ग्रामीण राजकुमार को दिया गया वन अधिकार पट्टा भी निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया गया है, क्योंकि इसके जारी होने के समय उसने ईसाई धर्म नहीं अपनाया था, जबकि अब वह गांव की व्यवस्था और परंपराओं को नहीं मान रहा है।
ग्राम पंचायत परवी में लगभग सात परिवार धर्मांतरित हो चुके हैं। इनमें से कुछ परिवार पिछले दस वर्षों से ईसाई धर्म का पालन कर रहे हैं, जबकि कुछ ने चार से पांच वर्ष पूर्व धर्मांतरण किया है। ग्रामीणों का कहना है कि ये परिवार गांव की परंपराओं का पालन नहीं कर रहे हैं, जिससे आदिवासी संस्कृति को खतरा उत्पन्न हो रहा है।इसी कारण विरोध तेज हो गया है। अंदरूनी गांवों में लगातार बैठकों का आयोजन किया जा रहा है, जिनमें धर्मांतरित परिवारों से मूल धर्म में वापसी को लेकर चर्चा की जा रही है।







