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बस्तर में वनभूमि पट्टा के लालच में अवैध कटाई के कारण साल वन का रकबा आधे से भी कम हुआ

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जगदलपुर। साल वनों का द्वीप के नाम से पहचाने जाने वाले बस्तर में अब अवैध कटाई के कारण साल वन का रकबा लगातार घटता जा रहा है, वहीं पिछले कुछ सालों से वनभूमि पट्टा के लालच में ग्रामीण साल के बड़े-बड़े पेड़ों को काट डाले और यह कार्य वर्तमान में भी जारी है। मिली जानकारी के अनुसार बस्तर में साल वन का रकबा वर्तमान में 895.76 वर्ग किलोमीटर ही रह गया है, जबकि दो दशक पहले सालवन का रकबा 2 हजार वर्ग किलोमीटर तक विस्तारित रहा। बीते 30 सालों में 400 से ज्यादा बस्तियां वनांचल में बस चुकी हैं. अभी भी हरे-भरे विशाल पेड़ो की गडलिंग कर इन्हें सुखाकर जलाने और बेचने का खेल धड़ल्ले से जारी है।
दरअसल बढ़ती जनसंख्या और ग्रामीणों की जरूरत को देखते हुए वनांचल के भूमिहीन बाशिंदों को खेती किसानी के लिए वन भूमि अधिकार प्रपत्र दिया जा रहा है. इसके लिए बकायदा वन विभाग, जिला पंचायत ,राजस्व विभाग की टीम बनाई गई है और प्रत्येक भूमिहीन को चार हेक्टेयर यानी की 10 एकड़ वन भूमि देने का प्रावधान है। नियम के अनुसार जिन ग्रामीणों को यह वन भूमि अधिकार प्रपत्र दिया गया है, उसमें इस बात का उल्लेख है कि ग्रामीण वन भूमि पर खेती करेंगे लेकिन वहां खड़े पेड़ों को नहीं काटेंगे, अगर वैसा करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस प्रावधान के चलते अब तक जगदलपुर वन क्षेत्र के अंतर्गत ही लगभग 32 हजार हेक्टेयर वन भूमि ग्रामीणों को दिया जा चुका है। मार्च 2019 तक जगदलपुर वन वृत में 28, 350 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा हो चुका था, समिति के अनुसंशा पर 16 हजार 754 लोगों को व्यक्तिगत और 694 सामूहिक वन अधिकार प्रपत्र दिया जा चुका है।
उल्लेखनिय है कि बस्तर को सालवनों का द्वीप कहा जाता है, साल वनों के कारण ही दो दशक पहले तक बस्तर में अच्छी बारिश होती थी। गर्मी के सीजन में भी अधिकतम तापमान 40 डिग्री को पार नहीं करता था, लेकिन अब पिछले कुछ सालों से तापमान मई-जून में 40 डिग्री को पार कर लेता है। पूर्व में साल के पेड़ों की तस्करी होती रही पर जब से वनभूमि पट्टा वितरण शुरू हुआ, तब से जंगल की अंधाधुंध कटाई हुई। अंदरूनी इलाके में भी ग्रामीण बड़े-बड़े साल के पेड़ों की कटाई किए, इसके कारण अब और अधिक रकबा में कमी आई है। वोट बैंक की राजनीति से उपर उठकर रजनैतिक दलों को इस दिशा में गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है, अन्यथा आने वाले दिनों में इसके भयावह परिणम देखने के लिए बस्तर को तैयार रहना चाहिए।
बस्तर के मुख्य वन संरक्षक आरसी दुग्गा का कहना है कि पिछले सरकार के शासन के नियमों के तहत ही भूमिहीन लोगों को पट्टा वितरण किया गया। हालांकि लगातार विभाग में यह शिकायत मिल रही है कि वन अधिकार पट्टाधारी लगातार खड़े पेड़ों की कटाई कर रहे हैं, जिससे बस्तर में जंगलों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। खासकर वन भूमि क्षेत्र में पुराने पेड़ों की कटाई की जा रही है, हालांकि ऐसे लोगों पर वन अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए हैं, लेकिन कई बार वन विभाग के कर्मचारियों को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि सामूहिक वन अधिकार पट्टा देने पर उसमें दिक्कतें सामने नहीं आती है, लेकिन भूमिहीन बाशिंदों को वन अधिकार पट्टा वितरण के बाद उनके द्वारा सारे नियमों को ताक में रखकर वन अधिंनियमो का उल्लंघन किया जाता है।

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