Chhattisgarh

रचनात्मक डिजिटल मीडिया के लिए बड़ी संभावनाएं : केजी सुरेश

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रायपुर । पत्रकारिता को समस्या नहीं, समाधान आधारित होना चाहिए। टेलीविजन पत्रकारिता द्वारा लाई गई भाषा में आक्रामकता अब प्रिंट मीडिया में भी आ गई है। ये बातें प्रो. (डॉ.) केजी सुरेश ने पत्रकारिता विश्वविद्यालय में आयोजित वार्ता कार्यक्रम में कही।

शनिवार को कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति और मीडिया पाठ्यक्रम विषय पर वार्ता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के. जी. सुरेश ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा पर बल दिया गया है। मीडिया की भाषा संयम की भाषा होना चाहिए। टेलीविजन पत्रकारिता द्वारा लाई गई भाषा में आक्रामकता अब प्रिंट मीडिया में भी आ गई है। पत्रकरिता का भविष्य भाषा में है। इसलिए भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता प्रशिक्षण को प्रसारित किया जाना चाहिए। आज के विद्यार्थी में साहित्य से दूरी होने के कारण वर्तनी की अशुद्धियाँ अधिक हैं।

उन्होंने कहा कि देश के प्रमुख पत्रकारिता संस्थान जिनमें माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल; कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर; भारतीय जनसंचार संस्थान (डीम्ड विश्वविद्यालय) एवं हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, जयपुर सहित सभी महत्वपूर्ण संस्थानों को एक साथ सामंजस्य बना कर पत्रकारिता प्रशिक्षण पर बल देना होगा। इसके लिए जल्द ही भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्विद्यालय में बैठक रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि संचारसूत्र हमारी सभी ज्ञान परम्पराओं में स्थापित है। इसलिए उनका प्रभावी विश्लेषण होना चाहिए। ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालयों को शोध केन्द्रित होने की आवश्यकता है। सामुदायिक रेडियो पर बोलते हुए कहा कि सामुदायिक रेडियो आज प्रत्येक समुदाय के अभिव्यक्ति की जरुरत है।

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. अनिल द्विवेदी ने कहा कि स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान रखते हुए शोध को बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है। पत्रकारिता में विश्वसनीयता के लिए प्रमाणित मीडिया चैनलों से ख़बरों को प्राप्त करना चाहिए।

इस अवसर पर प्रभारी कुलसचिव डॉ. नरेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार मीडिया पाठ्यक्रमों को संचालित किये जाने की योजना तैयार की गई है। इस मौके पर विश्वविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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