आखिर कैसी मिली शहर के ये दो स्कूलों को मान्यता, एक स्कूल में गर्ल्स टॉयलेट का दरवाजा टूटा तो एक स्कूल ब्रमडमे कराते है पढ़ाई
कवर्धा। आप ने लोगों को हमेशा सरकारी स्कूलों की सुविधाओं को लेकर कोसते हुए सुना होगा, लेकिन मनमाने फीस लेने के बाद भी निजी स्कूलों की व्यवस्था बदहाल है।
जी हां निजी स्कूलों की बदहाल व्यवस्था व जेल की तरह 4 से 5 घण्टे बच्चे दम घोटु माहौल में पढ़ाई करने मजबूर है। ये हाल कही वनांचल का नहीं बल्कि शहर के निजी स्कूल की है। किसी स्कूल में गर्ल्स टॉलेट का दरवाजा टूटा हुआ है तो कही बरामदे में बैठ कर बच्चों को पढ़ाई करनी पड़ रही है।
संस्कार पब्लिक स्कूल दसवीं तक पढ़ाई पर गर्ल्स टॉलेट नही
शहर के विधुत सब स्टेशन के पास संस्कार पब्लिक इंग्लिश मीडियम स्कूल में सुविधा के नाम पर पालकों से राशि ले रहे है लेकिन यहां कोई सुविधा नहीं है, इस स्कूल में दो टॉलेट है, जिसमें केवल एक टॉलेट गर्ल्स का है लेकिन उस गर्ल्स टॉलेट का भी दरवाजा टूटा हुआ है यानी इस स्कूल में गर्ल्स टॉलेट ही नहीं है, वहीं इस स्कूल में दुकानदारी भी चल रही है यहां के बच्चों को बुक से लेकर ड्रेस तक स्कूल से ही उपलब्ध कराया जाता है। इस प्रकार स्कूल संचालक मनमानी कर रहे है।
इस स्कूल में तो बच्चे बरामदे में बैठकर करते है पढ़ाई
नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली कहावत शहर के लोहारा रोड स्थित आर्यन पब्लिक स्कूल पर सही बैठती है, इस स्कूल का प्रचार प्रसार को हाई प्रोफाइल किया जाता है लेकिन यहां बच्चों के बैठने तक के लिए व्यवस्था नहीं है, कुछ क्लास में तो फर्नीचर तक नहीं है जमीन में बैठकर पढ़ाई करते है। जबकि वहीं स्कूली बच्चों को लाने ले जाने वाली एक वेन है जो कंडम दिखाई देती है इसी का उपयोग किया जाता है। दोनों की स्कूल में न तो दिव्यांग बच्चों के लिए रैंप बना है और न ही साफ-सफाई है। ऐसे निजी स्कूल चलाकर केवल पैसा कमा रहे है। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे है।
निजी स्कूलों के संचालन के लिए कुछ जरूरी शर्तें ये
प्राइवेट स्कूल खोलने कुछ शर्तों का पालन करना होता है। इसमें सोसाइटी का पंजीकरण प्रमाण-पत्र, सोसाइटी सदस्यों की प्रतिलिपि, सोसाइटी का संविधान, ततीमा-जमाबंदी की प्रति, स्कूल भवन की फोटो, रेंट एवं लीज डीड संबंधी प्रमाण-पत्र, पेयजल-बिजली उपलब्धता प्रमाण, शौचालय से संबंधी फोटो, शैक्षणिक योग्यता सहित शिक्षक व गैर शिक्षक स्टाफ की जानकारी, आय के साधन, सुविधा उपलब्ध करवाने संबंधी शपथ पत्र, फीस की जानकारी, पुस्तकालय व प्रयोगशाला जानकारी और खेल मैदान की उपलब्धता सहित अन्य दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध करवाने होते हैं।
निजी स्कूलों का निरीक्षण किया जाता है, किसी स्कूल में कुछ खामियां है तो उस स्कूल पर एक्शन लिया जाएगा।
योगदास साहू, जिला शिक्षा अधिकारी, कबीरधाम