एमिटी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ और नासा का ऐतिहासिक सहयोग: राज्य का पहला एयरोनेट वायुमंडलीय जांच स्टेशन शुरू

00 यह स्टेशन जलवायु परिवर्तन अनुसंधान, वायु गुणवत्ता निगरानी, उपग्रह डेटा के सत्यापन तथा भारत में पर्यावरण नीति और हरित बजट निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक रियल-टाइम, उच्च-रिज़ॉल्यूशन एयरोसोल डेटा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
रायपुर। एमिटी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ (AUC) ने गौरवपूर्वक घोषणा की है कि उसके रायपुर परिसर में नासा-एयरोनेट (AErosol RObotic NETwork) वायुमंडलीय अवलोकन स्टेशन की स्थापना सफलतापूर्वक की गई है। यह न केवल छत्तीसगढ़ राज्य की पहली नासा साझेदारी है, बल्कि क्षेत्रीय जलवायु विज्ञान और वैश्विक वैज्ञानिक एकीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम भी है।
यह महत्वपूर्ण स्टेशन एमिटी एजुकेशन ग्रुप के अंतर्गत स्थापित दूसरा नासा-एयरोनेट स्टेशन है – पहला स्टेशन एमिटी यूनिवर्सिटी हरियाणा, गुरुग्राम में स्थापित किया गया था। यह सहयोग नासा और एमिटी एजुकेशन ग्रुप के बीच हुए संयुक्त एमओयू के अंतर्गत हुआ है, जो एमिटी की वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग में अग्रणी भूमिका को और सुदृढ़ करता है।
Amity_Univ_Raipur नाम से पंजीकृत यह एयरोनेट स्टेशन 21.396°N अक्षांश, 81.891°E देशांतर तथा 298 मीटर ऊँचाई पर स्थित है। यह अब नासा के विश्वव्यापी नेटवर्क के 80+ देशों में फैले 600 से अधिक स्टेशनों का एक हिस्सा बन गया है। यह स्टेशन निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए रियल-टाइम, उच्च-रिज़ॉल्यूशन एयरोसोल डेटा प्रदान करेगा:
जलवायु परिवर्तन अनुसंधान
वायु गुणवत्ता निगरानी
उपग्रह डेटा का सत्यापन
भारत में पर्यावरण नीति निर्माण और हरित बजट निर्धारण
यह प्रणाली AERONET Version 3 DS और SDA Version 4.1 प्रोटोकॉल के अंतर्गत संचालित होती है। स्टेशन से उत्पन्न डेटा नासा के केंद्रीय पोर्टल पर स्वतः एकीकृत होता है, जिससे वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, और शैक्षणिक संस्थानों को वैश्विक स्तर पर खुले और पारदर्शी रूप में जानकारी मिलती है।
एयरोसोल – जो पृथ्वी के वायुमंडल में निलंबित सूक्ष्म कण होते हैं – जलवायु, स्वास्थ्य, कृषि और क्षेत्रीय वायु गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। औद्योगीकरण और शहरीकरण की वृद्धि के साथ, रायपुर जैसे शहरों को वैज्ञानिक रूप से सटीक और तात्कालिक निगरानी उपकरणों की आवश्यकता है। नासा का AERONET कार्यक्रम एयरोसोल मापन के लिए विश्व मानक माना जाता है, जो ग्राउंड-बेस्ड रेडियोमीटरों से प्राप्त सत्यापित, दीर्घकालिक डेटा प्रदान करता है।
स्टेशन की स्थापना और संचालन निम्नलिखित वैज्ञानिकों के नेतृत्व में हुआ है:
प्रो. (डॉ.) पीयूष कांत पांडे, कुलपति, AUC – प्रमुख अन्वेषक (PI)
प्रो. रोशन मैथ्यू, भौतिकी विभाग – सह-प्रमुख अन्वेषक
डॉ. सुमित कुमार बंछोर, सहायक प्रोफेसर, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार अभियांत्रिकी – साइट प्रबंधक
डॉ. प्रस्सन चौधरी, सहायक प्रोफेसर, जैवप्रौद्योगिकी – साइट प्रबंधक
डॉ. सी. एस. देवारा, प्रोफेसर, एमिटी यूनिवर्सिटी हरियाणा – वायुमंडलीय वैज्ञानिक
डॉ. पवन गुप्ता, रिसर्च साइंटिस्ट, अर्थ साइंसेज़, नासा-गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर (GSFC)
डॉ. जेसन क्राफ्ट, डॉ. एलेना लिंड, डॉ. थॉमस एफ. एक, डॉ. मिखाइल जी. सोरोकिन, डॉ. क्रिस्टोफर बेनेट और डॉ. अलेक्जेंडर वी. केली – नासा GSFC
इस उपलब्धि को संभव बनाया
डॉ. अशोक के. चौहान, माननीय संस्थापक अध्यक्ष, एमिटी एजुकेशन ग्रुप
डॉ. असीम चौहान, माननीय अध्यक्ष, एमिटी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़
डॉ. डब्ल्यू. सेल्वमूर्ति, माननीय कुलाधिपति, एमिटी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ की दूरदर्शी सोच और निरंतर समर्थन ने।
यह टीम सुनिश्चित करती है कि AUC स्टेशन से प्राप्त डेटा नासा-GSFC मानकों पर खरा उतरता है, लगभग रियल-टाइम में अपलोड होता है, और क्षेत्रीय से लेकर वैश्विक जलवायु मॉडलिंग में सहायक सिद्ध होता है।
इस अवसर पर बोलते हुए प्रो. (डॉ.) पीयूष कांत पांडे, कुलपति, एमिटी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ और परियोजना के प्रमुख अन्वेषक ने कहा यह केवल एमिटी ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ राज्य के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। AUC का नासा-एयरोनेट स्टेशन भारत के वैश्विक विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान में एकीकृत होने का प्रतीक है। यह छात्रों, विद्वानों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को प्रमाणित, विश्व-स्तरीय डेटा प्रदान करेगा जो जलवायु नीति, पर्यावरणीय शासन और सतत विकास को दिशा देने में सहायक होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि यह स्टेशन शिक्षण, अनुसंधान और नीति निर्माण में एक सेतु का कार्य करेगा।
AUC-NASA AERONET स्टेशन से निम्नलिखित लाभ होंगे:
रायपुर और आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की रियल-टाइम निगरानी
दीर्घकालिक वायुमंडलीय आंकड़ों के आधार पर जलवायु-उन्मुख नीति निर्माण
छात्र और संकाय अनुसंधान परियोजनाएं, थीसिस और पीएचडी कार्य
ISRO, CPCB, IMD और पर्यावरण मंत्रालय जैसे राष्ट्रीय संगठनों से सहयोग
नवोदित वायुमंडलीय वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों के लिए क्षमता निर्माण
इसके अतिरिक्त, यह ओपन-एक्सेस डेटा मौसम पूर्वानुमान, फसल सलाह प्रणाली, स्वास्थ्य चेतावनी, और क्षेत्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण रणनीतियों में भी सहायक होगा।







