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1 करोड़ के ईनामी नक्सली देवजी के नाम उसकी पोती सुमा ने लिखा पत्र, परिवार के सदस्य आपका कर रहे इंतजार

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जगदलपुर । छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ मुठभेड़ में नक्सली संगठन का सरगना नंबाला केशव राव उर्फ बशव राजू के मारे जाने के बाद नक्सली संगठन के महासचिव की दौड़ में शामिल थिप्परी तिरुपति उर्फ देवजी, उम्र 61 वर्ष, निवासी: आंबेडकर नगर, कोरूतुला, जिला-करीमनगर, तेलंगाना, पद: प्रभारी सेंट्रल मिलिट्री कमेटी, सीआरबी सदस्य, इनामी 1 करोड़, के नाम उसकी पोती ने पत्र लिखा और वीडियो जारी किया । वह अपने दादा से वापस लौटने की अपील कर रही है, पत्र और वीडियो संदेश तेलगू भाषा में जारी किया गया है।
पत्र और वीडियो संदेश में देवजी की पोती सुमा देवजी से कह रही है कि दादा जी मुझे हमेशा आपसे मिलने का मन करता है, पर दुर्भाग्यवश मुझे वह मौका कभी नहीं मिला। जब भी मैं मीडिया में आपके बारे में पढ़ती हूं तो मुझे आप पर गर्व और दर्द का एहसास होता है, पर हाल की घटनाओं को देखकर बहुत दुख भी होता है। मैं सच्चे दिल से चाहती हूं कि इन कठिन परिस्थितियों में आप घर वापस आ जाएं। परिवार में ऐसे सदस्य भी हैं जो वर्षों से आपका इंतजार कर रहे हैं । आप सोचें कि इतने वर्षों में क्या कठिनाइयां रहीं होंगी । इसके साथ ही देव जी की पोती सुमा ने सुरक्षाबलों के ऑपरेशन पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि, ऑपरेशन कगार क्यों? पाकिस्तान और बांग्लादेश से हमारे देश में घुसपैठ करने वालों पर कार्यवाही क्यों नहीं की जाती है? माओवादियों की निर्मम हत्या और मिठाई बांटते देख मुझे बहुत दुख होता है। अंत में मार्मिक अपील करते हुए सुमा ने लिखा- हमारा परिवार दरवाजे पर आपका इंतजार कर रहा है। हम आपको प्यार से आमंत्रित कर रहे हैं आप वापस आ जाएं।
1 करोड़ के ईनामी नक्सली थिप्परी तिरुपति उर्फ देवजी की पोती सुमा के पत्र का हिन्दी अनुवाद
प्रिय दादाजी (टिपिरि तिरुपति उर्फ देव जी), सर्वप्रथम आपके चरणों में मेरा प्रणाम, आशा है कि आप अच्छे हैं। हर बार जब आपका नाम लिया जाता है, तो मुझे एक अज्ञात गर्व और दर्द का एहसास होता है। आपके विचार, आपका साहस, आपकी दृढ़ता- ये सब मेरे लिए बहुत प्रेरणादायक हैं। मुझे हमेशा आपसे मिलने का मन करता लेकिन दुर्भाग्यवश मुझे वह मौका कभी नहीं मिला। जब भी मैं प्रेस में आपके बारे में पढ़ती हूं, मुझे आप पर गर्व होता है कि आप कितने महान हैं। हाल की घटनाएं देखकर बहुत दुख हुआ, आप इस देश को समतावादी समाज बनाने के लिए गए थे। आप कैसे हैं, दादाजी? मैं सच्चे दिल से चाहती हूं कि आप वापस आएं। इन कठिन परिस्थितियों में आप घर वापस आ जाइए। परिवार के सदस्य सालों से आपका इंतजार कर रहे हैं। कृपया उन्हें मत भूलना। आंदोलन और लोगों के प्रति आपका कितना प्रेम है। हम सब आपका इंतज़ार कर रहे हैं। यदि आप सोचें कि इतने वर्षों में कठिनाई क्या रही, तो आपने बहुत कुछ जीता है और बहुत कुछ किया है, जान पड़ता है। मैं समझती हूं लेकिन इसका क्या मतलब है। वे कन्नोला छोड़कर गायब हो गए, उन्होंने शहर और नाम छोड़ दिया ताकि पेडोडी की परेशानियां खत्म हो जाएं। सुख-सुविधाएं त्यागकर वन का मार्ग अपनाया। क्या ऑपरेशन कगार में कोई गलती हुई? क्या उच्च शिक्षा छोडऩा उचित है, क्योंकि अस्तित्व मानवीय है? क्या इसका कारण यह है कि उन्होंने अत्याचारी सरदारों को रास्ते में खड़ा कर दिया? क्या इसका कारण यह है कि वे अपनी कारें और बंगले छोड़कर टेंटों में रहते है क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि हमने सोचा था कि हम खुशी के बिना भी कुछ हासिल कर लेंगे? आप उनके बारे में क्या जानते हो? आंदोलन को चुनने का कारण ये राजा, राजनीति है। ऑपरेशन कगार के नाम पर मुठभेड़ में मारे गए लोगों के कई परिवार आंसू बहा रहे हैं। मुझे समझ में नहीं आता कि हमारे देश के बच्चों, माओवादियों पर अधिक कार्रवाई क्यों की जा रही है, बजाय उन लोगों के जो पाकिस्तान और बांग्लादेश से हमारे देश में घुसपैठ करके आए हैं। वे हमारे नागरिकों की हत्या कर रहे हैं। माओवादियों की निर्मम हत्या और मिठाई बांटते देख समझ नहीं आता कि यह किसका सम्मान है। ये परिस्थितियां मुझे बहुत दुखी करती हैं। वे आएंगे। हमारा परिवार अभी भी आपके लिए दरवाजे पर इंतजार कर रहा है, हम आपको प्यार से आमंत्रित करते हैं।

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