महिला गार्ड ने लगाया इंजेक्शन हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान, कलेक्टर से माँगा शपथपत्र

बिलासपुर। गरियाबंद जिला अस्पताल की महिला गार्ड के द्वारा एक महिला मरीज को इंजेक्शन लगाने के मामले में हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की बेंच ने जनहित याचिका के रूप में सुनवाई करते हुए इसे बेहद गंभीर व जीवन से खिलवाड़ बताया। कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, कि आप लोग कर क्या रहे हैं, अस्पतालों में यह क्या हो रहा है। किसी की जान गई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। कोर्ट ने गरियाबंद कलेक्टर से व्यक्तिगत हलफनामा पेश कर घटना की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसकी अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी।
गौरतलब है कि एनआरएचएम कर्मियों की हड़ताल के दौरान कुछ दिनो पहले जिला अस्पताल गरियाबंद में स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था की पोल खोलती एक तस्वीर आई। इसमें अस्पताल में महिला गार्ड द्वारा महिला मरीज को इंजेक्शन लगाया जा रहा है। इसका वीडियो और फोटो इंटरनेट मीडिया पर वायरल होते ही हड़कंप मच गया। उस वक्त अस्पताल में मौजूद पूर्व पार्षद ने यह नजारा देखा और तुरंत इसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान शासन ने घटना के सबंध में जवाब दिया, कि सीएमएचओ व सिविल सर्जन को नोटिस जारी किया गया है। चीफ जस्टिस ने पूछा इस नोटिस के पालन में क्या किया जा रहा है। इसकी पूरी जानकारी मंगवाते हुए जिला कलेक्टर गरियाबंद से एक निजी शपथपत्र मांगा है। इसमें जिला अस्पताल में ऐसी चूकों की पुनरावृत्ति रोकने उठाए गए उपायों का भी जिक्र होगा. कोर्ट ने कहा कि, यह घटना न केवल चिकित्सा नैतिकता और पेशेवर मानकों का गंभीर उल्लंघन है, बल्कि रोगी देखभाल के स्थापित प्रोटोकाल और जवाबदेही तंत्र की विफलता को भी उजागर करती है।
