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हाई कोर्ट ने शिक्षा सचिव से माँगा शपथपत्र, गैर मान्यता प्राप्त स्कूल में नए दाखिले पर रोक

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बिलासपुर। बिना मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। प्रदेश के सभी गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र के लिए छात्रों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने शिक्षा विभाग के सचिव को व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। बिलासपुर हाईकोर्ट ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है। गौरतलब है कि आज हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ती रविन्द्र कुमार अग्रवाल के खण्डपीठ नें निःशुल्क बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत प्रस्तुत जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए नए शैक्षणिक सत्र में प्रवेश लेने वालों छात्र छात्राओं के हित में एक अहम आदेश पारित किया है। उच्च न्यायालय की खण्डपीठ द्वारा 30 जून 2025 को उक्त प्रकरण में सुनवाई के बाद संचालक, लोक शिक्षण विभाग को विकास तिवारी द्वारा प्रस्तुत हस्तक्षेप याचिका के संबंध में व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया था। उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में दिनांक 11 जुलाई 2025 को संचालक, लोक शिक्षण विभाग ने शपथपत्र प्रस्तुत कर अवगत कराया कि प्रारंभिक शिक्षा में उम्र 6 से 14 वर्ष तक के बच्चे कक्षा पहली में जिन शालाओं में प्रवेश लेते हैं, तो ऐसी शालाओं को मान्यता लेना अनिवार्य है, किंतु जिन शालाओं में कक्षा नर्सरी से केजी 2 तक की कक्षाएं संचालित होती है, तो ऐसी गैर शालाओं को मान्यता लेना अनिवार्य नहीं है। संचालक, लोक शिक्षण विभाग ने न्यायालय को इस तथ्य से भी अवगत कराया कि जिन कक्षाओं के संचालन के लिए गैर शालाओं को मान्यता लेना अनिवार्य है और ऐसी शालाएं बिना मान्यता के संचालित हो रही है, तो ऐसी गैर शालाओं के विरुद्ध जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा आर्थिक दण्ड अधिरोपित किया जा रहा है, तथा जिन शालाओं के द्वारा मान्यता लेने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया है, ऐसे आवेदन जिला स्तर पर लंबित है।

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