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रामचरितमानस की 5 – 7 चौपाइयाँ जीवन को धन्य कर सकती हैं — मंदाकिनी दीदी

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राजनांदगांव। रामचरितमानस केवल पूजा का ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की संपूर्ण विधा है। यदि कोई व्यक्ति मानस की मात्र 5 – 7 चौपाइयों को भी अपने आचरण में उतार ले, तो उसका जीवन धन्य हो सकता है। यह विचार युग तुलसी रामकिंकर की शिष्या एवं सुप्रसिद्ध रामकथा वाचिका मंदाकिनी दीदी ने राम कथा आयोजन को लेकर आयोजित प्रेस वार्ता में व्यक्त किए।
विभीषण को लेकर समाज की धारणा अज्ञानता का परिणाम
प्रेस वार्ता में पूछे गए एक महत्वपूर्ण प्रश्न पर कि धर्म का साथ देने के बावजूद समाज में विभीषण नाम क्यों नहीं रखा जाता, मंदाकिनी दीदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह अज्ञानता और रामचरितमानस को न समझ पाने का परिणाम है। उन्होंने कहा कि विभीषण के लिए स्वयं भगवान राम और हनुमान जी ने साधु और संत की भाषा का प्रयोग किया है। यह प्रमाण है कि वे धर्म, विवेक और नीति के प्रतीक थे। लेकिन सामान्य दृष्टि से लोग उन्हें भाई को धोखा देने वाला या संकट के समय साथ छोडऩे वाला मान लेते हैं, जबकि यह दृष्टिकोण मानस की आत्मा के विरुद्ध है। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग मानस को गहराई से नहीं समझते, वही विभीषण के चरित्र को गलत अर्थों में देखते हैं। इसी भ्रांति के कारण समाज में विभीषण नाम प्रचलन में नहीं आ पाया।
छत्तीसगढ़ जैसी रामभक्ति कहीं और नहीं
मंदाकिनी दीदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ रामभक्ति की भूमि है, यहाँ जैसी श्रद्धा और भाव कहीं दुर्लभ है। उन्होंने कहा यहाँ का जन-जन राम नाम से जुड़ा है, यह भूमि स्वयं राममय है।
धर्मांतरण का फैलता जाल चिंताजनक
छत्तीसगढ़ जैसे रामभक्त प्रदेश में धर्मांतरण के बढ़ते प्रयासों को लेकर उन्होंने चिंता जताई। मंदाकिनी दीदी ने कहा जहाँ अपने धर्म और ग्रंथों का ज्ञान कमजोर पड़ता है, वहीं धर्मांतरण का जाल फैलता है। यह विषय केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना से जुड़ा है।
सनातन धर्म सर्वश्रेष्ठ — जीवन पद्धति का दर्शन
मंदाकिनी दीदी ने कहा कि सनातन धर्म सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि यह किसी पर थोपा नहीं जाता। यह जीवन जीने की पद्धति सिखाता है। रामचरितमानस का प्रत्येक दोहा और चौपाई मनुष्य को संयम, करुणा और कर्तव्य का बोध कराती है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे बाहरी प्रभावों में आने के बजाय अपने धर्म, संस्कृति और ग्रंथों को स्वयं पढ़ें और समझें। जब समाज अपने धर्म को समझेगा, तभी उसे सहेज पाएगा। अज्ञान ही सबसे बड़ा संकट है।

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