Chhattisgarh

पिता का अनोखा जुगाड़: बेटे के 40 किमी स्कूल आने जाने की परेशानी का किया अंत , साइकिल को बना दिया ई-वाहन

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रायपुर : यह कहानी एक पिता की प्रेरणा और प्यार की है, जिन्होंने अपने बेटे की तकलीफों को देखकर उसे राहत देने के लिए एक अद्भुत समाधान निकाला। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में रहने वाले संतोष साहू नामक वेल्डर ने अपनी साइकिल को एक ई-साइकिल में बदल दिया, जिससे उनके बेटे को स्कूल जाने में अब कोई परेशानी नहीं होती।

संतोष साहू का बेटा, किशन, 14 साल का है और वह 8वीं कक्षा में पढ़ता है। उसे हर दिन अपने स्कूल जाने के लिए 40 किमी का सफर तय करना पड़ता था, जो कि उसे बहुत थका देता था। स्कूल दूर होने के कारण, किशन को सुबह जल्दी घर से निकलना पड़ता था ताकि वह समय पर स्कूल पहुंच सके।

कई बार उसे स्कूल जाने के लिए बस छूट जाती थी और उसे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। इस कारण उसकी पढ़ाई भी प्रभावित हो रही थी, क्योंकि इतना लंबा सफर तय करने के बाद वह थक जाता था और उसे पढ़ाई में मन नहीं लगता था।

संतोष साहू ने अपने बेटे की परेशानी को हल करने के लिए कुछ अलग और अनोखा करने का सोचा। एक दिन उन्होंने अपने वेल्डिंग और मैकेनिकल स्किल्स का इस्तेमाल करते हुए बेटे की साइकिल को एक इलेक्ट्रिक (ई) साइकिल में बदल दिया। उन्होंने इस साइकिल में बैटरी, सेल्फ-स्टार्ट बटन, हेडलाइट और हॉर्न जैसे फीचर्स भी जोड़ दिए, जिससे यह साइकिल पूरी तरह से ऑटोमैटिक हो गई।

संतोष साहू ने इसे बनाने में कुल 30,000 रुपये खर्च किए और यह साइकिल मात्र तीन दिनों में तैयार हो गई। इस ई-साइकिल को एक बार चार्ज करने पर 80 किमी तक चलाया जा सकता है। किशन अब इसे दो दिन तक इस्तेमाल कर सकता है, जिससे उसकी स्कूल जाने की परेशानी दूर हो गई है।

साइकिल की विशेषताएँ

  1. चार्ज पर क्षमता : साइकिल को एक बार चार्ज करने पर यह 80 किमी तक चल सकती है।
  2. आधुनिक फीचर्स : इसमें सेल्फ-स्टार्ट बटन, हॉर्न और हेडलाइट जैसी सुविधाएं भी दी गई हैं।
  3. ऑटोमैटिक चालन : यह साइकिल अब ऑटोमैटिक रूप से चलती है, जिससे किशन को पेडल मारने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
  4. लागत: इसे तैयार करने में संतोष साहू ने 30,000 रुपये खर्च किए और यह केवल 3 दिनों में बनकर तैयार हो गई।
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