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पिता की इच्छा थी कि डॉक्टर बनें मनमोहन सिंह, प्री मेडिकल कोर्स में दाखिला भी लिया, लेकिन…

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नई दिल्ली। बतौर वित्त मंत्री देश में आर्थिक सुधारों की शुरुआत करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज निधन हो गया। वे 92 साल के थे और काफी लंबे समय से वे बीमार चल रहे थे। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी. फिल करने वाले मनमोहन सिंह ने एक प्री मेडिकल कोर्स में दाखिला लिया था। मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरशरण में ये दावा किया है। इसमें उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री के पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें।
दमन अपनी किताब में लिखती हैं, ‘चूंकि उनके पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें, इसलिए उन्होंने दो साल के एफएससी पाठ्यक्रम में दाखिला लिया, जिससे चिकित्सा में आगे की पढ़ाई की जा सके, लेकिन कुछ महीनों के बाद, उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। डॉक्टर बनने में उनकी रुचि खत्म हो गई थी। असल में, विज्ञान का अध्ययन करने में भी रुचि खत्म हो गई थी। 2014 में प्रकाशित अपनी पुस्तक “स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरशरण” में, दमन सिंह ने यह भी कहा कि अर्थशास्त्र एक ऐसा विषय था जो उनके पिता को आकर्षित करता था। मनमोहन सिंह के बारे में बताते हुए दमन सिंह ने यह भी लिखा है कि उनके पिता एक मज़ाकिया इंसान थे और उनका हास्यबोध भी अच्छा था।
पिता मनमोहन सिंह के हवाले से दमन ने लिखती हैं, मेरे पास सोचने का समय नहीं था। ऐसे में मैं अपने पिता के साथ उनकी दुकान में शामिल हो गया। लेकिन मुझे वह भी पसंद नहीं आया, क्योंकि वहां मेरे साथ बराबर का व्यवहार नहीं किया जाता था। मेरे साथ एक हीन व्यक्ति के रूप में व्यवहार किया जाता था, मुझसे चाय-पानी लाने के लिए कहा जाता था। तब मैंने सोचा कि मुझे ऐसा करना चाहिए कॉलेज वापस जाओ और मैंने सितंबर 1948 में हिंदू कॉलेज में प्रवेश किया। वहां अर्थशास्त्र एक ऐसा विषय था जिसने उन्हें तुरंत आकर्षित किया।
दमन लिखती हैं कि उनके पिता कहते थे मुझे हमेशा गरीबी के मुद्दों में दिलचस्पी थी, कुछ देश गरीब क्यों हैं, अन्य अमीर क्यों हैं। वहां मुझे बताया गया कि अर्थशास्त्र वह विषय है जो ये सवाल पूछता है।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान आर्थिक तंगी से परेशान रहे
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की बेटी लिखती हैं कि कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान आर्थिक तंगी से वे परेशान रहे। उनका ट्यूशन और रहने का खर्च प्रति वर्ष लगभग 600 पाउंड था। पंजाब विश्वविद्यालय की छात्रवृत्ति से उन्हें लगभग 160 पाउंड मिलते थे। बाकी के लिए उन्हें अपने पिता पर निर्भर रहना पड़ता था। ऐसे में मनमोहन वहां बहुत कंजूसी से रहते थे। वहां अपनी किताब में दमन ने लिखा है कि उनके पिता कभी बाहर खाना नहीं खाते थे। वे शायद ही कभी बीयर या वाइन पीते थे, फिर भी अगर घर से पैसे कम पड़ जाते या समय पर नहीं आते तो वह संकट में पड़ जाते। ऐसे में कभी अगर ऐसा होता था को वे भोजन छोड़ देते थे या चॉकलेट से काम चलाते थे।
कैंब्रिज में रोमांस, चॉकलेट पर गुजारा
पूर्व पीएम की बेटी दमन सिंह स्ट्रिक्टली पर्सनल नाम से लिखी गई मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी गुरशरण कौर की जीवनी में कहती हैं, उन्होंने एक दोस्त से दो साल के लिए 25 पाउंड उधार मांगे थे। दोस्त ने यह कहते हुए सिर्फ तीन पाउंड दिए थे कि इससे ज्यादा देने की उसकी हैसियत नहीं है। इसके साथ ही दमन सिंह ने किताब में कैंब्रिज के दिनों में मनमोहन के रोमांस का जिक्र भी किया है। तब डॉ. सिंह की शादी नहीं हुई थी। दमन ने एक इंटरव्यू में कहा था, मुझे यह जानकर खुशी हुई कि पढ़ाई के दौरान मेरे पिता किसी लड़की के बारे में भी सोचते थे। क्या वह रोमांस रहा होगा? मुझे लगता है।

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