Chhattisgarh

बिल का ड्राफ्ट हुआ तैयार, धर्मांतरण के खिलाफ नया कानून लाएगी सरकार : बृजमोहन

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को रोकने के लिए जल्द ही कानून बनाया जाएगा। विष्णुदेव सरकार शीघ्र ही धर्म स्वतंत्र विधेयक लाएगी। बिल का डॉफ्ट लगभग बनकर तैयार है। इस मामले में संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि धर्मांतरण रोकने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार नया कानून लाएगी।

विधानसभा के इसी सत्र में धर्म स्वतंत्र विधेयक लाया जाएगा। मंत्री ने कहा कि बहुत सारी ऐसी शक्तियां हैं, जो कि विदेशी फंड के आधार पर छत्तीसगढ़ की डेमोग्राफी और इकोलॉमी को बर्बाद करने की कोशिश कर रही हैं। प्रलोभन और लालच के माध्यम से शासन को बिना सूचना दिए धर्मांतरण कराते हैं। इससे समाज में विवाद और विद्वेष फैलता है। इस पर कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने कहा कि कानून लाए पर कानून के नाम पर किसी को प्रताड़ित करना उचित नहीं होगा।

दूसरे धर्म में जाने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को कम-से-कम 60 दिन पहले एक फॉर्म में अपनी व्यक्तिगत जानकारी देनी होगी। उसे कलेक्टर के पास जमा करना होगा। इसके बाद जिला डीएम से धर्मांतरण के वास्तविक इरादे, कारण और उद्देश्य का आकलन करने के लिए कहेगा।

इतना ही न हीं धर्मांतरण करवाने वाले व्यक्ति को भी एक फॉर्म भरकर जिलाधिकारी के पास जमा करना होगा। मसौदे में यह भी कहा गया है कि बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव डालकर, प्रलोभन देकर या किसी कपटपूर्ण तरीके से या फिर विवाह से एक धर्म से दूसरे धर्म में रूपांतरण नहीं किया जा सकता है। अगर इसकी जानकारी जिलाधिकारी को मिलती है तो वह इस धर्मांतरण को अवैध घोषित कर सकता है। इतना ही नहीं धर्मांतरण करने वाले हर व्यक्ति का पंजीकरण कलेक्टर के पास कराना होगा।

ये है सजा और जुर्माने का प्रावधान

धर्मांतरण पर आपत्ति जताने पर धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति से रक्त या गोद लेने संबंधी जुड़ा हुआ व्यक्ति इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा सकता है। इसके साथ ही यह केस गैर-जमानती होगा और यह सत्र अदालत की ओर से सुनवाई योग्य होगी। कोर्ट धर्म परिवर्तन के पीड़ित को 5 लाख रुपए तक का मुआवजा मंजूर कर सकता है।

नाबालिग, महिलाओं या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के लोगों का अवैध रूप से धर्म परिवर्तन कराने वालों को कम-से-कम दो साल और अधिकतम 10 साल की जेल हो सकती है। वहीं कम से कम 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लग सकता है। सामूहिक धर्म परिवर्तन पर कम से कम तीन साल और अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार रुपए जुर्माना भी लग सकता है।

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