बाल अधिकार संरक्षण के लिए महासमुंद में डॉ. सुरेश शुक्ला की नियुक्ति

महासमुंद। छत्तीसगढ़ — बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं नियम 2020 के अंतर्गत, साथ ही लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) 2012 की धारा 39 के तहत, महासमुंद जिले में डॉ. सुरेश शुक्ला को “सहयोगी व्यक्ति” के रूप में नामित किया गया है। यह नियुक्ति बाल अधिकारों की रक्षा, यौन शोषण से प्रभावित बच्चों को न्याय दिलाने और पुनर्वास की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है। डॉ. सुरेश शुक्ला एक अनुभवी एवं समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने पिछले दो दशकों से महासमुंद जिले में बाल कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। वे बाल संरक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य, एवं बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में निरंतर सक्रिय रहे हैं। डॉ. शुक्ला का सामाजिक क्षेत्र में गहन अनुभव, समर्पण और सेवा भावना उन्हें इस दायित्व हेतु उपयुक्त बनाते हैं।
उन्होंने चाइल्ड हेल्पलाइन के जिला संचालक के रूप में कार्य करते हुए हजारों बच्चों को संकट की स्थिति में सहायता पहुंचाई है। उनके प्रयासों से न सिर्फ बच्चों को तत्काल राहत मिली है, बल्कि उनके पुनर्वास, शिक्षा और पारिवारिक पुनर्स्थापन की दिशा में भी सार्थक परिणाम प्राप्त हुए हैं। बाल शोषण, बाल विवाह, बाल श्रम और बाल उत्पीड़न जैसे गंभीर मुद्दों पर उनकी सक्रिय भूमिका एवं सजगता ने कई जिंदगियों को सुरक्षित भविष्य प्रदान किया है।
डॉ. शुक्ला ने शासन द्वारा संचालित अनेक बाल-संरक्षण समितियों एवं बाल न्यायालयों में सलाहकार के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। उनके मार्गदर्शन में कई संवेदनशील मामलों का समुचित समाधान हुआ है। बाल अधिकारों की रक्षा हेतु उनकी प्रभावशाली भागीदारी समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत है।
लैंगिक अपराधों से बालकों की सुरक्षा हेतु बने पाक्सो अधिनियम के तहत ‘सहयोगी व्यक्ति’ के रूप में उनकी यह नियुक्ति न केवल प्रशासनिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में बच्चों की सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन की दिशा में उठाया गया सकारात्मक कदम भी है।
महासमुंद जिले में कार्यरत बाल संरक्षण इकाइयों, पुलिस प्रशासन, बाल कल्याण समिति, न्यायिक अधिकारियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर डॉ. शुक्ला बच्चों के हित में समन्वय स्थापित करेंगे। पीड़ित बच्चों के लिए परामर्श, चिकित्सा, पुनर्वास, न्यायिक प्रक्रिया में सहायता और परिवार के साथ पुनर्स्थापन जैसे विभिन्न पहलुओं पर कार्य करते हुए वे यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रत्येक प्रभावित बालक को न्याय और सुरक्षा मिल सके।
डॉ. शुक्ला की यह नियुक्ति न केवल उनके कार्यों की सार्वजनिक मान्यता है, बल्कि यह संकेत भी है कि शासन अब बाल अधिकारों के प्रति अधिक संवेदनशील और सक्रिय है। समाज के सभी वर्गों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे इस दिशा में प्रशासन एवं सहयोगी व्यक्तियों के साथ मिलकर कार्य करें ताकि हर बच्चा सुरक्षित, सशक्त और सम्मानजनक जीवन जी सके।
