Chhattisgarh

डॉ. भागवत ने युवा संवाद में पर्यावरणीय संतुलन और नशे पर जताई चिंता

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने युवा संवाद कार्यक्रम में विकास, पर्यावरण और युवाओं के भविष्य पर अपनी बात रखी। उन्होंने अरावली पर्वतमाला का उदाहरण देते हुए कहा कि दुनिया अब तक ऐसा विकास मॉडल नहीं बना पाई है, जिसमें पर्यावरण और इन्फ्रास्ट्रक्चर साथ‑साथ बिना नुकसान के चल सकें, इसलिए अब संतुलित विकल्प तलाशना ही होगा। डॉ. भागवत ने चेताया कि अंधाधुंध विकास की दौड़ अगर इसी तरह चलती रही तो आने वाली पीढ़ियां पर्यावरणीय संतुलन की भारी कीमत चुकाएंगी।

उन्होंने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्रकृति का समानांतर विकास जरूरी है, जिसके लिए नीतियों और जीवनशैली दोनों में बदलाव लाना होगा। युवाओं से अपील की कि वे रोजगार और करियर के साथ‑साथ पर्यावरण की जिम्मेदारी भी समझें और अपने छोटे‑छोटे फैसलों से बड़ी सकारात्मक शुरुआत करें। इसके साथ ही डॉ. भागवत ने युवाओं में बढ़ते नशे को गंभीर चिंता बताया और कहा कि आज का युवा अंदर से अकेलापन महसूस कर रहा है। परिवारों में संवाद घटने और रिश्तों के कमजोर होने के कारण मोबाइल और नशा आसान विकल्प बन गए हैं।

उन्होंने कहा कि अगर परिवार के भीतर बातचीत और इमोशनल कनेक्शन मजबूत होगा तो बाहर की बुरी आदतों की खींच कम हो जाएगी। समाज और परिवार को मिलकर ऐसा माहौल बनाना होगा जिसमें युवा अकेलेपन से भागकर नशे में नहीं, बल्कि सार्थक कामों में अपना समय लगाएं।

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