डोंगरगढ़ मुठभेड़: हॉकफोर्स के निरीक्षक आशीष शर्मा की शहादत

डोंगरगढ़–बालाघाट के घने जंगलों में 18–19 नवंबर की रात सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में मध्यप्रदेश हॉकफोर्स के बहादुर निरीक्षक आशीष शर्मा शहीद हो गए। यह घटना ठीक उसी समय सामने आई जब देशभर में मोस्ट वांटेड नक्सली कमांडर माडवी हिडमा के मारे जाने की खबरें सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी राहत बनी थीं। घटनाओं का यह क्रम इस संभावना को जन्म देता है कि हिडमा की मौत से विचलित और दबाव में आए नक्सलियों ने सीमावर्ती इलाकों में अपनी उपस्थिति जताने तथा प्रतिशोध की मंशा से हमला किया हो। डोंगरगढ़–बालाघाट का जंगल लंबे समय से नक्सलियों का फॉलबैक ज़ोन रहा है, जहां वे दबाव बढ़ने पर regroup होकर सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं। सर्चिंग अभियान के दौरान जब आशीष शर्मा की टीम का सामना नक्सलियों से हुआ, तो उन्होंने अग्रिम मोर्चे पर रहकर जवाबी कार्रवाई का नेतृत्व किया और अपनी टीम का हौसला बनाए रखा। नक्सलियों को अपनी स्थिति छोड़कर भागना पड़ा और वे राशन, बैग, दस्तावेज़ तक वहीं छोड़ गए, जो बढ़ते सुरक्षा दबाव का संकेत था। नक्सल विरोधी अभियानों में आशीष शर्मा की गिनती उन अधिकारियों में होती थी जिन्होंने कई बड़े इनामी नक्सलियों को ढेर कर संगठन की कमर तोड़ी थी। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद उन्होंने अपनी टीम को निर्देश देने बंद नहीं किए, लेकिन अस्पताल में उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनकी शहादत ने प्रदेश को गहरे शोक में डुबो दिया और एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि ऐसे अधिकारी ही इस कठिन इलाके में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई की असली रीढ़ हैं।





