गणित विषय से डरे नहीं, गणित जैसा आसान कोई दूसरा नहीं – राव

रायपुर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा चौबे कालोनी में आयोजित प्रेरणा समर कैम्प के दूसरे दिन मोटिवेशनल स्पीकर इन्जीनियर बी. एन. राव ने बच्चों के मन में गणित के प्रति रूचि पैदा करते हुए बहुत ही सरलता के साथ उनकी कठिनाईयों का समाधान किया।
इन्जीनियर बी. एन. राव ने कहा कि गणित जैसा आसान कोई दूसरा विषय नहीं है। गणित का भय अपने मन से निकाल दें। गणित के अधिकांश आविष्कार हमारे देश में हुए किन्तु यहाँ पर गणित को उतना महत्व नहीं दिया जाता है जितना कि अमेरिका आदि देशों में दिया जाता है। इन्जीनियरिंग कर लेना महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन आप कितने बड़े गणितज्ञ बनकर निकलते हैं यह बात अधिक महत्व रखता है। उन्होंने कहा कि इतिहास को आप रट सकते हो लेकिन गणित को नहीं रट सकते। उसे समझकर हल करना पड़ता है। गणित एकमात्र ऐसा विषय है जिसमें पूरे नम्बर प्राप्त किए जा सकते हैं। हमारे देश में कई महान गणितज्ञ हुए हैं जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है। इस देश के महान गणितज्ञों ने वर्षों पहले धरती से सूर्य के बीच की दूरी को गणना करके बतला दिया था। यहाँके बच्चे अन्य देशों की अपेक्षा गणित में होशियार होते हैं। अमेरिका में यह हालत है कि वहाँ के बच्चे बिना केलकुलेटर के छोटी मोटी गणना भी नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने राईट ब्रेन को एक्टिवेट करने के लिए बच्चों को अभ्यास बतलाया कि मार्निंग में एक से सौ तक की गिनती गिनना और बाद में उसे उल्टे क्रम में अर्थात सौ से एक तक गिनकर अभ्यास करना। यदि दोनों गणना में एक बराबर समय लगता है तो इसका मतलब है कि आपका राईट ब्रेन जागृत हो चुका है। ब्रेन का यही हिस्सा गणना करने का कार्य करता है। इसलिए गणित में होशियार बनने के लिए राईट ग्रेन का एक्टिव होना जरूरी है।
इन्जीनियर बी. एन. राव ने बताया कि पढ़ाई के लिए मानसिक शान्ति जरूरी है। विद्यार्थी जीवन में तनाव और क्रोध से बचें। शान्त रहने से हमारे अन्दर नये सात सौ सेल्स बढ़ जाते हैं। जो आदमी जितना शान्त रहेगा वह जिन्दगी में उतना ही आगे बढ़ेगा। गणित में सफल होने के लिए मन की शान्ति आवश्यक है। ओम शब्द के उच्चारण में इतनी ताकत है कि इससे हमारे अन्दर से सारी नकारात्मक शक्तियाँ बाहर निकल जाती हैं। अब तक वह पांच हजार विद्यार्थी और दस हजार शिक्षकों को प्रशिक्षण दे चुके हैं।
एक अन्य सत्र में ब्रह्माकुमारी सौम्या दीदी ने बच्चों को स्वयं की पहचान विषय पर बोलते हुए बताया कि हम अपनी पहचान को भूलकर स्वयं को शरीर समझ बैठे हैं। वास्तव में हम शरीर नहीं अपितु इसके माध्यम से कार्य करने वाली अविनाशी और चैतन्य शक्ति आत्मा हैं। जिस प्रकार सिम के बिना मोबाईल और ड्राईवर के बिना कार बेकार हो जाती है वैसे ही आत्मा के बिना यह शरीर निर्जीव कहलाता है। हम स्वयं को भूलकर देह और पदार्थों आदि में फंसे रहते हैं तथा दुखी हो रहे हैं। उन्होंने बच्चों को नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों के महत्व को समझाने के लिए कई एक्सरसाईज भी करवायी।







