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DMF Fund की राशि अटकी, 200 से अधिक कर्मचारियों को 4 माह से नही मिला वेतन

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बीजापुर। डीएमएफ फंड में घोटालो के मामले सामने आने के बाद इस मद के दुरूपयोग की उच्च स्तरीय जांच चल रही हैं। जिसके चलते भाजपा की सरकार छत्तीसगढ़ के कई जिलों में डीएमएफ फंड की राशि देना बंद कर दिया हैं। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित बीजापुर जिले के सैंकड़ो कर्मचारी जिन्हे डीएमएफ फंड से वेतन मिलता था उनके वेतन के लाले पड़े हुए हैं। पिछले कुछ महीनों से राज्य में चल रही खींचतान के बाद डीएमएफ फंड का रोड़ा बना हुआ हैं।
विदित हो कि डीएमएफ मद से स्वास्थ्य विभाग के 155 कर्मचारियों का 48 लाख रुपए का भुगतान प्रति माह किया जाता हैं, बीजापुर में 90 भोपालपटनम में 17 भैरमगढ़ में 25 उसूर में 23 कर्मचारी कार्यरत हैं।आलम यह हैं कि नक्सल प्रभावित जिले में डीएमएफ मद से नियुक्त कर्मचारियों को विगत चार माह से वेतन नहीं मिल रहा हैं। इसमें सबसे ज्यादा स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर सहित स्टॉफ नर्स तृतीय, चतुर्थ वर्ग कर कर्मचारी शामिल हैं। वहीं सत्ता परिवर्तन के बाद इस मद के दुरूपयोग की उच्च स्तरीय जांच के नाम पर जिले में डीएमएफ की राशि मिलना बंद हो गया, जिससे सम्पूर्ण जिले में चल रहे निर्माण सहित अन्य कार्य के साथ ही कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने से अब नाराजगी सामने आने लगी है। डीएमएफ फंड की राशि नही मिलने से स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं पर गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। लगभग 200 से अधिक कर्मचारियों को 4 माह से वेतन नही मिला है। डॉक्टरों का इस्तीफा और शिक्षा दूतों की परेशानियां इस संकट को और बढ़ा रही हैं। यदि समय रहते प्रशासन ने इस समस्या का समाधान नहीं किया तो जिले की स्थिति और भी खराब हो सकती है।
वेतन नहीं मिलने से परेशान जिला अस्पताल के दो डॉक्टरो डॉ.सचिन पापडे स्त्री रोग विशेषज्ञ, आरुषि शर्मा जनरल मेडिसीन नें नौकरी छोड दी है। डॉक्टरों को वेतन नही मिलने से नाराज डॉक्टरों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर एक माह के अंदर वेतन नही मिलने से नौकरी से रिजाइन देने की बात कह रहे है। जिले के अंदरूनी नक्सल प्रभावित इलाकों में यहां आज भी कई स्कूल झोपड़ीयों में संचालित हो रहे हैं, वहीं आधे से अधिक स्कूलों में नियमित शिक्षकों की पोस्टिंग तक नहीं की गई है। गांव के बारहवी पास युवाओं को शिक्षा दूत बनाकर इनके भरोसे कई स्कूल संचालित की जा रही है। लेकिन उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा हैं। कई महीनों से इनका भी वेतन नही मिला है, जिसके चलाते शिक्षादूत भी परेशान है।
डीएमएफ कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष प्रेम कुमार ने बताया कि पिछले कई महीने से वेतन बराबर नही मिल रहा है, इसकी शिकायत हमने स्वास्थ्य मंत्री को भी की थी, उस समय एक माह का वेतन डाला गया था। लेकिन पिछले चार माह से वेतन नही मिल रहा है। कलेक्टर और सीएमएचओ को भी आवेदन दिया गया, लेकिन वे फंड नही मिलने की बात कह रहे है।
उल्लेखनिय है कि केंद्र सरकार ने 2015 में प्रधानमंत्री खदान क्षेत्र कल्याण योजना के कानूनी प्रावधानों के तहत जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) का कानून बनाया था। इसके तहत प्रदेश से निकलने वाले गौण खनिज की रॉयल्टी के अनुपात में एक निश्चित रकम डीएमएफ में जमा होती है। इसका ख़र्च जिले में जरुरत के हिसाब से किया जाता हैं। कलेक्टरों की अध्यक्षता में कमेटियों का गठन किया था। इसी दौरान वर्ष 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद इस व्यवस्था को बदल दिया गया था, जिसके बाद डीएमएफ फंड में बड़े घोटाले की बात सामने आने तथा इस मद का दुरूपयोग की उच्च स्तरीय जांच चल रही हैं।

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