गरियाबंद स्कूल शौचालय निर्माण में प्रशासन और आदिवासी विभाग पर विवाद

गरियाबंद जिले में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा फरवरी 2025 में 5 ब्लॉक के स्कूलों के लिए 116 शौचालय निर्माण के काम की वित्तीय मंजूरी दी गई थी, जिसमें प्रत्येक शौचालय 1 लाख 3 हजार रुपए में बनाए जाने थे। हालांकि, कलेक्टर के अनुमोदन पर यह काम आदिवासी विकास विभाग को दे दिया गया। हैरानी की बात यह है कि ट्राइबल विभाग के पास पहले से ही 18 करोड़ रुपए के स्कूल भवन निर्माण कार्य थे, जिनमें विलंब हो रहा था, फिर भी उन्हें यह अतिरिक्त काम सौंपा गया। जुलाई में दुर्ग की कंचन कंस्ट्रक्शन फर्म के साथ गुपचुप अनुबंध कर 61 लाख रुपए अग्रिम राशि भी जारी कर दी गई। प्रभारी सहायक आयुक्त नवीन भगत ने कहा कि यह कलेक्टर के निर्देश पर किया गया और काम की प्रगति संतोषजनक न होने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
सरपंच संघ ने इस फैसले की आलोचना की है। संघ के मुखिया पन्ना लाल ध्रुव ने कहा कि 20 लाख तक के निर्माण कार्य सरपंचों को दिए जा सकते हैं, लेकिन प्रशासन स्थानीय सरपंचों को शामिल किए बिना बाहरी फर्मों को काम दे रहा है। इसके चलते जिले भर के सरपंचों ने तीन सूत्रीय मांगों को लेकर 28 नवंबर को धरना प्रदर्शन किया। इस मामले को जानबूझकर की गई चूक या सोची-समझी फायदेमंद चाल के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि फर्म के पास इतने बड़े काम को 90 दिनों में पूरा करने के पर्याप्त संसाधन और टीम नहीं थी।







