छत्तीसगढ़ में राजस्व सेवाओं का डिजिटल सुधार

रायपुर। साय सरकार के गठन के बाद राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने आम लोगों की सुविधा के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। विभागीय सचिव रीना बाबासाहेब कंगाले ने प्रेसवार्ता में बताया कि खसरा, बी-1, डिजिटल साइन, डायवर्सन सहित तमाम प्रक्रियाओं को ऑनलाइन किया गया है और रजिस्टर कार्यालयों को तहसील से जोड़ा गया है। ऑनलाइन नामांतरण की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में पट्टा वितरण अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत 15,900 गांवों में 10 लाख लोगों को पट्टा दिया जाएगा। भुइया ऐप में खसरा, बी-1 उपलब्ध कराए गए हैं और डिजिटल साइन की सुविधा जोड़ी गई है। दीनदयाल योजना के तहत कृषि मजदूरों को सहायता राशि दी गई है तथा दो वर्षों में आपदा प्रभावितों को 321 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। विभाग ने 3,000 युवाओं को आपदा मित्र के रूप में प्रशिक्षित किया है, जबकि 1070 हेल्पलाइन के माध्यम से एनडीआरएफ सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। करीब ढाई करोड़ से अधिक ऑनलाइन खसरे जारी हो चुके हैं और जल्द ही ई-गजट सेवा भी शुरू की जाएगी। राजस्व रिकॉर्ड का शुद्धिकरण जारी है और 50 गांवों को पायलट रूप में चुना गया है। शहरी क्षेत्रों में जियो-मैपिंग और डिजिटाइजेशन का काम IIT रुड़की की सहायता से किया जा रहा है। सचिव ने बताया कि अवैध कब्जों, अतिक्रमण और लंबित राजस्व मामलों पर लगातार समीक्षा की जा रही है। वर्तमान में राज्य में 80,765 नामांतरण और 60,000 अभिवादित मामलों सहित लगभग 52,908 राजस्व प्रकरण लंबित हैं। न्यायालयीन लंबित मामलों की संख्या भी करीब 20 हजार है, जिनमें से सबसे अधिक दुर्ग संभाग में 7,438 मामले हैं। कोटवारों की जमीनों के प्रबंधन पर संयुक्त कार्यप्रणाली तैयार की जा रही है। वहीं, PDS में चावल की कालाबाज़ारी पर विभाग ने सख्ती बढ़ाई है और खाद्य नियंत्रकों को ज़ब्ती तथा IPC/भा.दं.सं. 316 व 18 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। विभाग का दावा है कि डिजिटल प्रक्रियाओं के लागू होने से पारदर्शिता बढ़ी है और राजस्व प्रशासन को पूरी तरह डिजिटल बनाने का कार्य तेजी से जारी है।





