झांझ वेटलैंड की तबाही रोकने के लिए टेंडर निरस्त करने की मांग
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रायपुर। नया रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण (एनआरएएनवीपी) ने नया रायपुर में झांझ वेटलैंड (आद्रभूमि) के समीप सेक्टर 24 में दो परियोजनाएं प्रस्तावित की हैं। इन परियोजनाओं के लिए निविदा प्रक्रिया वर्तमान में चल रही है। प्लॉटेड डेवलपमेंट और फ्लोटिंग रिक्रिएशनल फैसिलिटी क्षेत्र 2.66 एकड़ के लिए एनआईटी संख्या 10361।ब्रांडेड रेजिडेंस क्षेत्र 18.64 एकड़ के लिए एनआईटी संख्या 10360। उपरोक्त निविदाओं पर पर आपति जताते हुए रायपुर के डॉ.राकेश गुप्ता ने मुख्य सचिब सह वाईस चेयरमैन छत्तीसगढ़ स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी, एनआरएएनवीपी के चेयरमैन, सी.ई.ओ. और प्रमुख अभियंता सहित छत्तीसगढ़ स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी के सदस्य सचिव को पत्र लिखा है।
क्या कहते है नियम
झांझ वेटलैंड माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एम.के.बालकृष्णन बनाम यूनियन के आदेशों के तहत एक अधिसूचित वेटलैंड है। जहां वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2010 के नियम 4 लागू होते हैं। आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2010 के नियम 4 में प्रावधान कि नियमों के लागू होने से पिछले 10 वर्षों में (अर्थात वर्ष 2000) देखी गई औसत बाढ़ के स्तर (हाईएस्ट फ्लड लेवल) से 50 मीटर के भीतर नाव घाटों को छोड़कर स्थायी प्रकृति का कोई भी निर्माण प्रतिबंधित रहेगा। बाद में आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के नियम लागू किये गए जिसमें भी यही प्रावधान है।
आद्रभूमि की जमीनी सच्चाई और सीमांकन
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आनंद आर्य के प्रकरण में आदेशित किया है कि 2.25 हेक्टर से बड़ी सभी आद्रभूमि की जमीनी सच्चाई और सीमांकन तीन महीने के भीतर यानी 13.03.2025 तक पूरा किया जाना है, यह कार्यवाही छत्तीसगढ़ में चल रही है।
क्या है आरोप
डॉ गुप्ता ने उपरोक्त आदेशों का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि 2023 में की गई शिकायत पर झांझ वेटलैंड की जांच रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है, जिसमे झांझ वेटलैंड के मेढ में मुरम पाट कर पाथवे और पक्का निर्माण कर मान. न्यायलय के आदेशों का खुल्ला उलंघन कर के किया जा रहा था। अभी तक मुरम हटा के मेढ को पुरानी स्थिति में नहीं लाया गया है। ऐसे में झांझ वेटलैंड के बिलकुल बाजू में निर्माण हेतु निविदा आमंत्रित करने की क्या हड़बड़ी है? जब कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदेशित झांझ वेटलैंड की जमीनी सच्चाई और सीमांकन रिपोर्ट अभी सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत भी नहीं की गई है।
क्या की गई है मांग
डॉ. गुप्ता ने मांग की है कि झांझ वेटलैंड, से सटे कार्यो की टेंडरिंग और प्रस्तावित निर्माण को रोक दिया जाए। गुप्ता ने कहा कि झांझ वेटलैंड की सटीक जमीनी सत्यता और सीमांकन सुनिश्चित करने के लिए, राजस्व विभाग की सहायता ली जाए क्यों कि वर्ष 2000 से अभी तक के औसत हाईएस्ट फ्लड लेवल से 50 मीटर के अन्दर कोई भी स्थाई निर्माण नहीं किया जा सकता है और जो दो प्रस्तावित स्थल है वे 25 वर्षों के औसत हाईएस्ट फ्लड के भीतर आ जायेंगें।
आद्रभूमियों को तबाह करने में छत्तीसगढ़ वेटलैंड अथॉरिटी की मुख्य भूमिका
चर्चा में डॉ गुप्ता ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में छोटी-बड़ी आद्रभूमियों को तबाह करने में छत्तीसगढ़ वेटलैंड अथॉरिटी की मुख्य भूमिका है। शिकायत करने पर जांच आदेश कलेक्टर को तो दे दिए जाते हैं परन्तु अपने से हो कर कभी भी कलेक्टर को नहीं कहते कि जांच रिपोर्ट भेजें। नया रायपुर की झांझ, सेंध वेटलैंड, रायपुर शहर के कर्बला, तेलीबांधा, बूढा तालाब, महाराजबंद तालाबों की जांच रिपोर्ट वर्षो से नहीं आई है। इस बीच विकास और सौंदर्ययीकरण के नाम से तालाबों को बर्बाद कर दिया गया है। पिछले दो सालो में सेंध वेटलैंड को विकास के नाम से तबाह कर दिया गया है जो की सदस्य सचिव वेटलैंड अथॉरिटी के कार्यालय से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। गुप्ता ने कहा कि यदि हम पर्यावरण संरक्षण की अपेक्षा वित्तीय लाभ को प्राथमिकता देंगे और आर्द्रभूमि को नष्ट होने देंगे, तो भावी पीढिय़ां जैव विविधता, उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र और पर्याप्त जल संसाधनों से रहित, क्षीण पर्यावरण में रहने को मजबूर होंगी।
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