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पुरोहित संघ की बैठक में पुजारियों के मानदेय व सनातनी डेटा बैंक पर निर्णय

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रायपुर। आज अखिल भारतीय पुजारी पुरोहित संघ की बैठक राधा वल्लभ मंदिर में संघ के संरक्षक नागा महंत हरिशंकर दास की उपस्थिति में हुई। बैठक में प्रदेश के मंदिरों एवं धर्मस्थलों से जुड़े पुजारी–पुरोहितों की समस्याओं, मानदेय निर्धारण तथा उनकी आधिकारिक पहचान को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।.
बैठक में यह तय हुआ कि प्रदेश के मंदिरों में कार्यरत पुजारियों के लिए निश्चित मानदेय व्यवस्था बनाई जाएगी,यह मानदेय तीन श्रेणियों में विभाजित होगा, जिससे प्रत्येक पुजारी की सेवा और उनकी जिम्मेदारियों के अनुरूप उन्हें मान-सम्मान और जीवनयापन हेतु उचित सहयोग प्राप्त होगा।
रामजानकी मंदिर नर्मदा कुण्ड के महंत सुरेंद्र दास ने मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं का संक्षिप्त विवरण—जैसे नाम, मोबाइल नंबर और निवास स्थान—पंजीकृत करने की बात की। इससे सनातनी डेटा बैंक तैयार किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं को तिथि, मुहूर्त, पर्व-त्योहार एवं सनातन परंपराओं की जानकारी उपलब्ध कराई जा सके। इसका समर्थन शेतगंगा के महंत राधेश्याम दास ने किया। उन्होंने कहा कि इसे आगामी नवरात्रि से लागू किया जाए।
अखिल भारतीय पुजारी पुरोहित संघ के प्रदेश संयोजक डॉ. सौरव निर्वाणी ने कहा कि संघ की ओर से जिला और ब्लॉक स्तर पर मंदिरों के पुजारियों, क्षेत्रीय कर्मकांड सम्पन्न करने वाले पुरोहितों, भागवत कथा, रामकथा, शिवमहापुराण आदि के अधिकृत कथावाचकों की सूची पंजीयन कराई जानी चाहिए। ,पुजारी पुरोहित संघ की राज्य इकाई की वेब साइट में इनकी विस्तृत सूची अखाड़ा,परम्परा में दीक्षित होने की जानकारी श्रद्धालुओं को मिल सकेगी।

उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्र में केवल दीक्षित, शास्त्रीय परंपरा से प्रशिक्षित और मान्यता प्राप्त पुजारी–पुरोहित एवं भागवताचार्य ही कार्यरत रहेंगे। दूसरी ओर सनातन परंपराओं का संरक्षण और उसमे शुद्धता बनी रहेगी। इस सूची के आधार पर ‘धर्म स्तंभ काउंसिल’ द्वारा सभी पुजारी–पुरोहितों एवं कथावाचकों को आधिकारिक प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे। इस निर्णय की जानकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष देवकुमार बालकदास बालाबावा मंदिर को प्रेषित कर बताया कि
इससे पुजारियों की गरिमा की पुनर्स्थापना होगी। अब उन्हें सेवा के साथ मानदेय भी मिलेगा। जिससे आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक सम्मान सुनिश्चित होगा।
सनातनी डेटा बैंक के निर्माण से श्रद्धालुओं का सुव्यवस्थित विवरण होने से धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संदेश से समाज तक पहुँच पाएंगे।

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