Madhya Pradesh

स्वच्छता दावा दांव पर दूषित पानी से लोगों की जान खतरे में

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इंदौर के भागीरथपुरा इलाके में दूषित पानी पीने से जानलेवा स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस गंभीर मामले में अब तक सात लोगों की मौत हो चुकी है और 100 से अधिक लोग बीमार होकर अस्पतालों में इलाज करा चुके हैं। हालांकि, सरकारी रिकॉर्ड में केवल तीन मौतों की ही पुष्टि की जा रही है। इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने स्वीकार किया कि उनके संज्ञान में अब तक सात लोगों की जान जा चुकी है। प्रशासन का ध्यान फिलहाल बीमार लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने पर है। भागीरथपुरा क्षेत्र में दूषित पानी सप्लाई होने के कारण लोगों को डायरिया, उल्टी-दस्त और पेट दर्द की शिकायतें हुईं।

एक के बाद एक मरीज अस्पताल पहुंचे और वर्मा नर्सिंग होम, त्रिवेणी हॉस्पिटल समेत अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में अब तक 100 से अधिक लोगों का इलाज किया जा चुका है। इस घटना में ताराबाई, उमा कोरी, नंदलाल पाल, गोमती रावत, सीमा प्रजापत, मंजुला दिगम्बर, उर्मिला यादव और संतोष बिगौलिया की मौत हुई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि समय पर पानी की गुणवत्ता की जांच होती तो शायद इतनी बड़ी त्रासदी टाली जा सकती थी।

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री मोहन यादव भी पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं और प्रशासन से लगातार संपर्क में हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब मौतें सात हो चुकी हैं, तो सरकारी आंकड़ों में केवल तीन क्यों दर्ज हैं। दूषित पानी जैसी बुनियादी सुविधा में हुई लापरवाही अब सिर्फ स्वास्थ्य संकट नहीं, बल्कि प्रशासनिक गंभीर त्रुटि का बड़ा उदाहरण बनती जा रही है

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