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लोहण्डीगुड़ा गोलीकांड में मारे गये ग्रामीणों को चित्रकोट विधायक व ग्रामीणों ने श्रद्धांजलि अर्पित की

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00 तत्कालीन अंतिम बस्तर महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव को पद से हटाने के विरोध लोहण्डीगुड़ा गोलीकांड को दिया गया था अंजाम, मारे गये थे 12 ग्रामीण
जगदलपुर। बस्तर जिले के लोहण्डीगुड़ा में 31 मार्च 1961 को हुए गोलीकांड में मारे गये ग्रामीणों को आज श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर लोहण्डीगुड़ा गोलीकांड शहीद स्मारक स्थल पर चित्रकोट विधायक विनायक गोयल ने पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी शौर्यगाथा को याद किया गया। इस श्रद्धांजलि सभा में स्थानीय जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक, प्रशासनिक अधिकारी और बड़ी संख्या में क्षेत्र के ग्रामवासी उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर शहीदों के स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित किए और उनके बलिदान को याद किया। शहीदों की शहादत को चिरस्मरणीय बनाए रखने के लिए विभिन्न वक्ताओं ने उनके संघर्ष और वीरता की गाथा को साझा किया। यह आयोजन आने वाली पीढिय़ों को उनके बलिदान से प्रेरणा लेने और क्षेत्र के विकास में योगदान देने हेतु प्रेरित करता रहेगा। स्थानिय चित्रकोट विधायक विनायक गोयल ने शहीदों को नमन करते हुए कहा कि बस्तर के वीरों ने अपने प्राणों की आहुति देकर इस धरती की अस्मिता और सम्मान की रक्षा की है। हम उनके बलिदान को नमन करते हैं, और उनकी शौर्यगाथा को नई पीढिय़ों तक पहुंचाने का संकल्प लेते हैं।
उल्लेखनिय है कि बस्तर जिले के लोहण्डीगुड़ा में 31 मार्च 1961 को हुए गोलीकांड के बारे में वर्तमान पीढी को बस्तर के इस एतिहासिक गोलीकांड़ के संबध में अवगत करवाना आवश्यक है। ऐतिहासिक लोहण्डीगुड़ा गोलीकांड तत्कालीन अंतिम बस्तर महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव को पद से हटाकर उनके स्थान पर उसके छोटे भाई विजयचंद्र भंजदेव को राजा घोषित करना तथा प्रवीरचंद्र भंजदेव को नरसिंहगढ़ जेल में बंद कर देना बस्तर जनता की भावना के खिलाफ एक बड़ी कार्यवाही थी। बस्तरवासियों ने विजय चंद्र भंजदेव को राजा मानने से इंकार करते हुए शुक्रवार 31 मार्च 1961 को लोहंडीगुड़ा में जबरदस्त विरोध किया था। इस विरोध को शांत करने पुलिस ने गोलीबारी की थी। गोलीबारी में 1.जोगा पिता चिंता पारापुर, 2. भगतू पिता सहदेव कुंम्हली, 3. आयता पिता पायका आंजर, 4. आयता पिता कमलू खरियागुड़ा चित्रकोट, 5. सोनधर निवासी रतेंगा, 6. टंगरू पिता कुमा बादामपारा चित्रकोट, 7. अंतू पिता लछिंदर लामडागुड़ा चित्रकोट, 8. चरण पिता परसादी लामडागुड़ा चित्रकोट, 9. ठरलू पिता कोली मांझी बड़े धाराऊर, 10. सुखदेव पिता सोमारु घूमरमुंडपारा चित्रकोट, 11. रयतू पिता चुका घूमरमुंडपारा चित्रकोट तथा 12. लंबूराम निवासी सारडा की मौत हुई थी। साथ ही इस गोलीकांड के लिए 59 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
न्यायिक दंडाधिकारी जगदलपुर के आदेश क्रमांक 138/1962 के तहत 18 मई 1982 को नौ अधिवक्ताओं को अभियुक्तों के लिए नियुक्त किया गया था। 74 बिंदुओं पर आए फैसले में तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बीबीएल. सक्सेना ने खुली अदालत में यह निर्णय सुनाया था, कि अभियुक्तों के विरुद्ध लगाए गए आरोपों को अभियोजन सिद्ध करने में नितांत असफल रहा, इसलिए आदेशित किया जाता है कि अभियोजित भारतीय दंड विधान की धारा 147 अपठित धारा 148 भादवि के अपराध से सभी अभियुक्तों को विमुक्त कर दिया जाए। जो अभियुक्त जमानत पर हैं, उनका जमानती बांड एतद् द्वारा निरस्त कर दिया जाता है। यह भी विदित हो कि तत्कालीन बस्तर महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव को बस्तर महाराजा के पद से हटाकर 1961 में जेल भेज दिया गया। इसके चलते 31 मार्च 1961 को लोहण्डीगुड़ा में गोलीकांड हुआ, जिसमें एक दर्जन से ज्यादा आदिवासी मारे गए। इस घटना के 6 वर्ष बाद तक राजमहल विवादों में घिरा रहा और 25 मार्च 1966 को दरबार हॉल के सामने ही तत्कालीन बस्तर महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव को गोली मार दी गई।
लोहंडीगुड़ा क्षेत्र के ग्रामीण इस घटना को आज भी याद करते हैं। ग्राम कुंडली का जोगा परिवार बताता है कि 31 मार्च 1961 को हुए गोलीकांड में कई ग्रामीण लापता भी हुए थे जिनकी अब तक कोई जानकारी उनके स्वजन को नहीं मिल पाई है। जगदलपुर-चित्रकोट मार्ग पर स्थित ऊसरीबेड़ा बाजार परिसर में आदिवासी विकास परिषद द्वारा गोलीकांड की याद में स्मारक बनाया गया है। यहां प्रतिवर्ष पीडि़त परिवार के लोग श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचते हैं। बता दें कि 61 साल पहले लोहंडीगुड़ा में हुए गोलीकांड का ब्यौरा आज भी लोहंडीगुड़ा थाना के पुराने रिकार्ड में अंकित है।

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