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छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा प्रकृति ज्ञान संरक्षण हेतु 10 से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन

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रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा पर्यावरण जागरूकता बढ़ाने, पारंपरिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण तथा अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जैव विविधता से जुड़े विभिन्न विषयों पर 10 से अधिक महत्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है। यह पहल राज्य में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। बोर्ड द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में पक्षी, तितली, कीट, सरीसृप, मछली, धान, मृदा आदि प्राकृतिक संसाधनों का विस्तृत विवरण उपलब्ध कराया गया है। साथ ही राज्य की पारंपरिक पारिस्थितिकीय ज्ञान प्रणाली तथा वन आचार-संहिता का भी दस्तावेजीकरण किया गया है।

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बोर्ड द्वारा प्रकाशित प्रमुख पुस्तकें जिसमें वर्टिब्रेट्स ट्रेज़र ऑफ छत्तीसगढ़ – संजीता गुप्ता, स्नेक्स एंड अदर रैपटाइल्स ऑफ छत्तीसगढ़ – मोइन अहमद, कृष्णेंद्र वर्मा, प्रभात सरकार, एम. सूरज एवं कैलाश एस. एच. बैलाजी, बर्ड्स ऑफ छत्तीसगढ़ (बर्ड काउंट इंडिया रिपोर्ट 2017-18) – रवि नायक, एम. एस. कुर्रे एवं सुहेल बख्तियार, फ्लोरा बायोडायवर्सिटी ऑफ छत्तीसगढ़ – राजेन्द्र प्रसाद मिश्रा एवं एम. एल. नायक, इंसेक्ट बायोडायवर्सिटी ऑफ छत्तीसगढ़ – डॉ. हेमकांत चंद्रवंशी, बायोडायवर्सिटी इन छत्तीसगढ़ सॉइल्स – डॉ. विवेक कुमार सिंहल एवं डॉ. हेमकांत चंद्रवंशी, बायोडायवर्सिटी ऑफ छत्तीसगढ़ : ए चेकलिस्ट – एम. एल. नायक, राजेन्द्र प्रसाद मिश्रा, अनुज प्रसाद तिवारी, अरुण कुमार पांडे एवं प्रभात मिश्रा, पीपुल्स गाइड टू फॉरेस्ट ग्रासेस ऑफ छत्तीसगढ़ – शिवेंद्र कुमार उके एवं श्रीमती वेणु, बायोडायवर्सिटी ऑफ कांगेर वैली नेशनल पार्क – अरुण कुमार पांडे, एम. एल. नायक एवं राजेन्द्र प्रसाद मिश्रा, वन्यजीव अपराध प्रकार एवं अभियोजन – अरुण कुमार पांडे, प्राकृतिक ज्ञान वस्त्र एवं रेशम कीटपालन तकनीकें – डॉ. देवयानी शर्मा, मैक्रोफौना ऑफ छत्तीसगढ़ – राजेन्द्र प्रसाद मिश्रा, एम. एल. नायक एवं अरुण कुमार पांडे और एथनोबोटनी: ट्रेडिशनल हीलिंग प्रैक्टिसेज ऑफ बस्तर – डॉ. देवयानी शर्मा शामिल हैं।

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गौरतलब है कि इन पुस्तकों का उपयोग केवल ज्ञान प्राप्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि ये फील्ड गाइड के रूप में शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों, वन अधिकारियों एवं प्रकृति प्रेमियों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही हैं। इनके माध्यम से नए शोध कार्यों को बढ़ावा मिल रहा है तथा जैव विविधता संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान मिल रहा है।

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इन प्रकाशन से जैव विविधता संरक्षण और प्रबंधन में सहायता, वन कर्मचारियों एवं शोधार्थियों के प्रशिक्षण में उपयोगी, विद्यार्थियों एवं नागरिकों में पर्यावरण साक्षरता का विकास, पारंपरिक ज्ञान एवं सांस्कृतिक धरोहर का दस्तावेजीकरण, शोध एवं वैज्ञानिक अन्वेषण को प्रोत्साहन मिलेगा। इन प्रकाशनों के माध्यम से राज्य जैव विविधता बोर्ड, छत्तीसगढ़ में जैव विविधता संरक्षण, जन-जागरूकता और वैज्ञानिक शोध को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

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