डॉ. भीमराव अम्बेडकर चिकित्सालय के क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में आये मरीजों की केस स्टडी
रायपुर। डॉ.भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय एवं पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय स्थित रेडियोथेरेपी विभाग (क्षेत्रीय कैंसर संस्थान, रायपुर) मध्यभारत का सबसे बड़ा एवं उन्नत संस्थान है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के अतिरिक्त मध्यप्रदेश, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र एवं आदि राज्य से मरीज कैंसर का उपचार कराने आते हैं। कैंसर मरीज के कैंसर के प्रकार एवं श्रेणी अनुसार कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी एवं इम्युनोथेरेपी से इलाज किया जाता है। वर्ष (2019-2023) इन पांच सालों में क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में पंजीकृत लगभग 18500से 18600 मरीजों में 3832 यानि 20-25 प्रतिशत मरीज पूर्णत: कैंसर मुक्त होकर स्वस्थ जीवन जी रहें हैं।
महिलाओं में होने वाले कैंसर में स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से पूरे देश में सर्वाधिक मौतें होती है। 2019 से 2023 में क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में इलाजरत स्तन कैंसर के 36 प्रतिशत ( 2043 में 733) मरीज और गर्भाशय ग्रीवा के 30 प्रतिशत मरीज (2991 में 871) अभी स्वस्थ हैं।
मुंह और गले के कैंसर के 4624 मरीजों में से 885 यानि 19 प्रतिशत कैंसर मुक्त हुए हैं। अन्य कैंसर के 8731 मरीज इस अवधि में पंजीकृत हुए जिसमें 15 प्रतिशत यानि 1343 मरीज स्वस्थ और कैंसर मुक्त है। इसमें फेफड़ा, ब्रेन ट्यूमर हड्डी का कैंसर, खून का कैंसर, पेट और आंत से जुड़े कैंसर, आंख, किडनी, आदि कैंसर के मरीज है।
*केस स्टडी-*
*1. रामलाल (परिवर्तित नाम) उम्र 53 वर्ष*
दो साल तक बिलासपुर के निजी अस्पताल में अपनी कमजोरी, शरीर में सूजन और नींद न आने की बीमारी का इलाज कर रहा था। वहां की दवाई से आराम न आने पर डॉक्टरों ने मुझे रायपुर क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में जाने की सलाह दी। सन् 2008 में जब मैं पहली बार रायपुर आया तो यहां के डॉक्टर ने मुझे बोन मैरो कराने की सलाह दी। रिपोर्ट देखने के बाद मेरे पैर के नीचे की जमीन खिसक गई। रिपोर्ट मे मुझे खून का कैंसर होना बताया गया था। चिकित्सकों ने मुझे दिलासा दिया की यह बीमारी सही इलाज से ठीक हो सकता है। विगत 17 सालों से हर माह मुंगेली से आकर अपनी खून जांच कराता हूं और अपनी दवाई ले जाता हूं।
जीवन में निराशा के जिस दौर में संस्थान के चिकित्सकों ने मेरा हौसला बढ़ाया और निरंतर इलाज करने मुझे प्रोत्साहित किया, उनसे हर माह मिलने की लालच में रायपुर आता हूं और दवाई के साथ स्वस्थ जीवनजीने की प्रेरणा के साथ घर जाता हूं।
*2. रहीम परिवर्तित नाम की कहानी:-*
आज से आठ साल पहले 9 वीं कक्षा में पढ़ने वाले रही को उसके पिता जी ने रायपुर में अपने मामा के घर जाने को कहा। वो सरदर्द से परेशान तो था, परंतु नानी और मामा के साथ रहने की खुशी से झूम उठा। बालाघाट के डॉक्ट रोंने जांच पश्चात उसके पिताजी को रहीम के ब्रेनट्यूमर का इलाज कराने बड़े शहर जाने को कहा था। जैसे ही उसके मामा को इस बारे में पता चला, उन्होंने तुरंत ही रहीम को उपचार के लिए मेकाहारा के रेडियोथेरेपी विभाग में दिखाने की सलाह दी। 8 साल पहले इलाज के लिए मामा घर रायपुर आया रहीम आज भी रायपुर में रहकर कॉलेज की पढ़ाई कर रहा है। रहीम विगत 8 वर्षों से वह नियमित रूप से फॉलोआप पर है जिसके हर संभव मदद की गई और निरंतर उपचार के लिए उनका हौसला भी बढ़ाया गया।