111 साल पुरानी कांकेर नगरपालिका में आज तक कभी भाजपा नही जीती, इस बार कमल खिलेगा ?

कांकेर। जिले की नगर पालिका उस नगरीय निकायों में से एक है, जहां आज तक भाजपा अपना कब्जा नहीं जमा पाई है। कांग्रेस का गढ़ रही इस नगर पालिका पर हर बार मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच रहा, लेकिन भाजपा हर बार पीछे रही, इस बार भी इस सीट पर कांटे की टक्कर है। कांकेर नगर पालिका सीट के इतिहास बताते है कि इस सीट पर 4 बार निर्दलीय, 1 बार जनता पार्टी और 9 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। लगातार जीतने के कारण यह सीट कांग्रेस का गढ़ बन गई है, लेकिन इस वर्ष 2025 के इस नगरीय निकाय चुनाव में इस सीट के लिए कांटे का मुकाबला देखा जा था है। कांग्रेस ने जहां जितेंद्र ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया है, तो भाजपा ने अरुण कौशिक को टिकट दिया है। कांटे के मुकाबले में 21360 मतदाताओं में से 17193 मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया। हालांकि दोनों ही प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे है। अब 15 फरवरी को यह फैसला हो जाएगा कि कांग्रेस अपनी जीत बरकार रखती है या इस नगर पालिका सीट पर पहली बार भाजपा जीत कर रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करती है।
कांकेर नगर पालिका की बात करे तो पालिका क्षेत्र के अंतर्गत कुल 21 वार्ड आते है. वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा के 12, कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय पार्षद जीत कर आये थे. अध्यक्ष पद के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव हुआ. इस सीट पर कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया और संजय नगर वार्ड से पार्षद का चुनाव जीतकर आई कांग्रेस की सरोज ठाकुर नगर पालिका की अध्यक्ष बनी।
कांकेर नगर पालिका के इतिहास की बात करें तो देश की आजादी के पहले वर्ष 1912 में कांकेर नगर पालिका घोषित की गई। नगर की बागडोर कांकेर रियासत के राजा को सौपते हुए उन्हें अध्यक्ष मनोनीत किया गया। वर्ष 1925 में उनकी मृत्यु के पश्चात अध्यक्ष पद पर उनके उत्तराधिकारी राजा भानुप्रतापदेव को बनाये जाने की बात सामने आई। लेकिन भानुप्रतापदेव की उम्र कम होने के कारण वर्ष 1946 तक कार्य प्रशासनिक स्तर पर चलता रहा। वर्ष 1952 तक भानुप्रतापदेव ने पालिका की बागडोर संभाली और पहली बार 1952 में अध्यक्ष पद के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव हुआ, पार्षदों ने पंडित विष्णु प्रसाद शर्मा को अपना अध्यक्ष चुना।
अब तक के पालिका अध्यक्ष में सबसे पहले अध्यक्ष महाराजा कोमल देव – निर्दलीय, महाराजा भानुप्रतापदेव – निर्दलीय, पंडित विष्णु प्रसाद शर्मा – कांग्रेस, त्रिभुवन नाथ शाहदेव – निर्दलीय, प्रकाश चंद पंथ – कांग्रेस, डोरेलाल तिवारी – जनता पार्टी, भुनेश्वर सिंह ठाकुर – निर्दलीय, राजेन्द्र भगत – कांग्रेस, तिलक दुबे – कांग्रेस, रवि श्रीवास्तव – कांग्रेस, आरती रवि श्रीवास्तव – कांग्रेस, पवन कौशिक – कांग्रेस, जितेंद्र ठाकुर – कांग्रेस, एवं सरोज ठाकुर – कांग्रेस रहे हैं।
