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एटीएस जांच में नाबालिगों द्वारा डार्क वेब पर हथियार खोजने और विदेशी हैंडलर्स से जुडऩे का खुलासा

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में नाबालिगों से संचालित आईएसआईएसप्रभाव वाले डिजिटल मॉड्यूल की जांच में नए तथ्य सामने आए हैं। राज्य पुलिस की इंटेलिजेंस विंग एसआईडब्ल्यू की विशेष इकाई एंटी टेररिज्म एटीएस द्वारा की जा रही विस्तृत पड़ताल में यह स्पष्ट होता जा रहा है कि दोनों नाबालिग सोशल मीडिया पर व्यापक दायरे में सक्रिय थे और उनकी ऑनलाइन गतिविधियों का विस्तार केवल पाकिस्तान आधारित डिजिटल हैंडलर तक सीमित नहीं था।
जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एटीएस द्वारा प्राप्त एक ग्रुप चैट में कई देशों और भारत के विभिन्न राज्यों से जुड़ी इंस्टाग्राम आईडीएस की पहचान की गई है। अधिकारी के अनुसार यह संकेत है कि नाबालिग ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्मों के संपर्क में थे जहाँ विदेशी हैंडलर्स और विभिन्न क्षेत्रों के उपयोगकर्ता सक्रिय थे। इस पैटर्न ने जांच एजेंसियों को यह आकलन करने के लिए प्रेरित किया कि संपर्कों का दायरा प्रारंभिक अनुमान से कहीं व्यापक था। अधिकारी ने यह भी बताया कि नाबालिगों में से एक लड़का अरबी भाषा सीखने की कोशिश कर रहा था। जाँच में मिले डेटा से पता चला कि वह ऑनलाइन अरबी सीखने वाले पोर्टल्स और वीडियो लेक्चरों को बार-बार एक्सेस कर रहा था, जिसका उद्देश्य विदेशी स्रोतों से सीधे संवाद स्थापित करने की क्षमता हासिल करना था। अधिकारी के अनुसार यह व्यवहार स्वतंत्र रूप से बाहरी संपर्कों तक पहुँचना चाहता था, ताकि मध्यस्थों की आवश्यकता न रहे। सबसे गंभीर तथ्य उस समय सामने आया जब तकनीकी टीम ने एक डिवाइस से डार्क वेब ब्राउजिंगपैटर्न हासिल किए। डिजिटल लॉग से पता चला कि एक नाबालिग डार्क वेब पर हथियारों की कीमत, खरीद की प्रक्रिया और उससे जुड़े विकल्पों की जानकारी ढूँढ रहा था। एटीएस अधिकारी ने बताया कि यह गतिविधि जोखिम के उच्च स्तर का संकेत है क्योंकि डार्क वेब पर हथियारों से जुड़ा कंटेंट अवैध नेटवर्क से संबंधित माना जाता है। इस पहलू की विस्तृत फोरेंसिक जांच जारी है।
जांच में यह भी पाया गया कि दोनों नाबालिग एक से अधिक विदेशी हैंडलर्स से संपर्क में थे। प्रारंभिक चरण में केवल पाकिस्तान-स्थित डिजिटल स्रोत का पता चला था, परंतु नई तकनीकी समीक्षा में संचार के कई विदेशी बिंदुओं की पहचान हुई है। अधिकारी के अनुसार विभिन्न चैट पैटर्न, मीडिया ड्रॉप्स और एन्क्रिप्टेड फाइलें इस बात की ओर संकेत करती हैं कि संपर्क केवल एक देश तक सीमित नहीं थे। पहले से सामने आए तथ्यों में यह स्थापित हो चुका है कि 16 वर्षीय रायपुर निवासी नाबालिग ने इंस्टाग्राम पर आईएसआईएस रायपुर नाम से एक समूह बनाया था, जिसमें कई नाबालिगों को जोडऩे की कोशिश की गई। यह समूह समय-समय पर प्रतिबंधित चैट क्लस्टरों और सीक्रेट रूम में स्थानांतरित किया जाता था, ताकि ऑनलाइन गतिविधियों के रिकॉर्ड सीमित रहें।एटीएस अधिकारी ने बताया कि सामग्री की समीक्षा में संवेदनशील स्थानों से संबंधित सूचनाएँ, चित्र, नक्शे या स्थानों को चिह्नित करने की बातें भी मिली हैं। इसके साथ ही आपरेशन सिंदूर से जुड़ी कुछ निर्देशात्मक गतिविधियों के संकेत भी मिले हैं, जिनकी विस्तृत जाँच की जा रही है।
अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को भी मामले से अवगत कराया गया है और डिजिटल फोरेंसिक के कई चरणों में उनका सहयोग लिया जा रहा है। जांच में मिले नए तथ्य यह दर्शाते हैं कि नाबालिगों की ऑनलाइन गतिविधियां केवल कट्टरपंथी सामग्री तक सीमित नहीं थीं बल्कि वे सक्रिय रूप से बाहरी लिंक खोज रहे थे।दोनों नाबालिगों को एटीएस ने सोमवार को हिरासत में लिया था। उन्हें सुरक्षित स्थान पर लगभग 24 घंटे पूछताछ के बाद मंगलवार को किशोर न्याय बोर्ड रायपुर के समक्ष पेश किया गया। बोर्ड की प्रधान दंडाधिकारी ने दोनों को माना स्थित किशोर निवास गृह भेजने का आदेश दिया। अधिकारी ने बताया कि जांच अब भी जारी है और विदेशी संपर्कों, डार्क वेब गतिविधियों, इंस्टाग्राम समूहों और हटाए गए डेटा के आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है। सभी तथ्यों को फोरेंसिक सत्यापन पूरा होने के बाद सक्षम प्राधिकरणों के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

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