भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले बुजुर्गों को पुलिस ने गिरफ्तार किया

मध्य प्रदेश के मऊगंज से एक तस्वीर सामने आई है, जिसने प्रशासनिक संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे 70 से 80 साल के बुजुर्गों को पुलिस ने बलपूर्वक गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। कड़ाके की ठंड में अर्धनग्न होकर प्रदर्शन कर रहे इन बुजुर्गों का गुनाह केवल इतना था कि वे रिश्वत के आरोपी मऊगंज महाविद्यालय के लैब परिचालक पंकज श्रीवास्तव को हटाने की मांग कर रहे थे। ‘पंकज हटाओ, मऊगंज बचाओ’ के नारों के बीच प्रशासन ने उनकी नहीं सुनी, तो बुजुर्ग सड़क पर लेट गए। इस आंदोलन में शामिल बुजुर्ग पिछले चार दिनों से खुले आसमान के नीचे विरोध कर रहे थे।
मामला पंकज श्रीवास्तव द्वारा कलेक्टर के नाम पर महिला वार्डन से 1 लाख 12 हजार रुपये की रिश्वत लेने से जुड़ा है। जब प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की, तो सामाजिक संगठन और बुजुर्ग मोर्चा खोलने को मजबूर हुए। शुक्रवार को प्रदर्शनकारी कलेक्ट्रेट की ओर बढ़े, लेकिन भारी पुलिस बल ने उन्हें रोक लिया। संवाद न होने पर बुजुर्ग सड़क पर ही लेट गए, जिसके बाद धारा 163 का सहारा लेकर एसडीएम और एसडीओपी की मौजूदगी में 50 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने बुजुर्ग और विकलांग जिला पंचायत सदस्य को बलपूर्वक हिरासत में ले लिया। इनमें 80 साल तक के बुजुर्ग शामिल थे। गिरफ्तार 8 लोगों ने तहसील कार्यालय में जमानत लेने से इनकार कर दिया और कहा कि जब तक रिश्वतखोर हटता नहीं, वे जेल से ही आंदोलन जारी रखेंगे।
इस कार्रवाई के बाद मऊगंज में लोकतांत्रिक मूल्यों पर सवाल उठ रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ 50 से अधिक आंदोलनों का नेतृत्व कर चुके मुद्रिका त्रिपाठी और अगस्त क्रांति मंच के कुंजबिहारी तिवारी अब सलाखों के पीछे हैं। सवाल यह उठता है कि क्या रिश्वतखोरी के आरोपी को बचाने के लिए प्रशासन बुजुर्गों की आवाज दबाने पर उतारू है और क्या मऊगंज में भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना अपराध बन गया है। प्रशासन ने मीडिया के सामने इस पूरे घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं की।







