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अमृत सरोवर से 650 महिलाओं को मिला रोजगार, आर्थिक रूप से हुई आत्मनिर्भर

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दुर्ग। ग्राम पंचायत बोरिंदा में निर्मित अमृत सरोवर सिर्फ जल संरक्षण का साधन भर नहीं रहा, यह ग्रामीण महिलाओं के लिए सशक्त आजीविका का केंद्र बन चुका है। इस तालाब के माध्यम से “शीतल स्वास्थ्य समूह” की 12 महिला सदस्य मछली पालन कर रही हैं। मनरेगा योजना के तहत बना यह अमृत सरोवर अब ग्रामीणों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सफल उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। तालाब में अब तक 1,00,000 से अधिक मछलियों (बीज) का संचयन किया गया है।
शीतल स्वास्थ्य समूह की महिलाओं ने बताया कि उनकी योजना अब इस को व्यवसायिक तौर पर करने की है, जिससे भविष्य में और अधिक लाभ मिल सके। मुख्य कार्यपालन अधिकारी बजरंग दुबे ने इस पहल की सराहना की । उन्होंने कहा कि अमृत सरोवर केवल जल संरक्षण का माध्यम नहीं है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और आजीविका संवर्धन का भी एक सशक्त स्रोत बन सकता है। बोरिंदा की महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि यदि सही संसाधन व समर्थन हो, तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार की संभावनाएँ बहुत अधिक हैं।

इस तालाब के किनारों पर 10-15 एकड़ क्षेत्र में किसानों को सिंचाई की सुविधा मिल रही है। इससे खरीफ एवं रबी फसल ले रहे हैं। तालाब में 10,000 घन मीटर पानी का भंडारण संभव है। इसके अलावा तालाब के किनारे आम, बरगद, पीपल, नीम, बादाम, अशोक जैसे 60 पौधे रोपे गए हैं। दुर्ग जिले में अब तक कुल 123 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा चुका है। उनमे से 65 सरोवरों में महिलाओं द्वारा आजीविका गतिविधियाँ शुरू कर चुकी हैं। प्रत्येक समूह में 10 10 महिलाएँ हैं। कुल मिलाकर 650 महिलाएँ इन तालाबों से मछली पालन कर लाभ अर्जित कर रही हैं। तालाबों के किनारे मछली सुखाने के लिए चबूतरे बनाए गए हैं,।

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