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गजब का शिक्षा विभाग, यहां तो अपीलीय अधिकारी ने बना दिया दूसरा जज, ऐसे में आवेदक को कैसे दे पाएंगे न्याय

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कवर्धा। जिले में एक से बढ़कर एक केस देखने व सुनने में मिलता है, अब सूचना के अधिकार अधिनियम की धज्जियां कैसे उड़ाई जा रही है इसका नमूना जिला शिक्षा अधिकारी से ही देखा जा सकता है।
जी हां जिला शिक्षा अधिकारी पदेन अधिकारी ही प्रथम अपीलीय अधिकारी होता है। प्रथम अपीलीय की सुनवाई स्वयं पदेन अधिकारी स्वयं करता है, लेकिन कबीरधाम के जिला शिक्षा अधिकारी बकायदा आदेश जारी कर दूसरे को सुनवाई के लिए जिम्मेदारी दे दी गई है। जबकि प्रथम अपीलीय अधिकारी यानी जजमेंट वाला कार्य होता और कोई जज को ही कैसे बदल सकता है। जिला शिक्षा अधिकारी के स्थान पर कोई दूसरे अधिकारी को बैठ कर सूचना के अधिकार अधिनियम की सुनवाई करते है। इस प्रकार जिला शिक्षा कार्यालय में सीधे सूचना के अधिकार के नियमों को अनदेखा कर रहे है।
कैसे मिलेगा न्याय
सूचना के अधिकारी अधिनियम के तहत जानकारी नही मिलने या जनाकारी से संतुष्ट नहीं होने पर विभाग प्रमुख यानी पदेन अधिकारी प्रथम जन सूचना अधिकारी के पास आवदेन करना पड़ता है। इसके बाद पेशी होता है जिसमें दोनों पक्ष को बुलाकर प्रथम अपीलीय अधिकारी सुनवाई कर अपना फैसला सुनाते है। लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी प्रथम अपीलीय अधिकारी अपने स्थान पर किसी दूसरे को बैठक सुनवाई करवा रहे है, ऐसे में आवेदनकर्ता को न्याय मिल पाएगा यह सवाल उठता है। प्रथम अपीलीय अधिकारी से संतुष्ट नहीं होने पर द्वतीय अपीली अधिकारी राज्य सूचना आयोग में आवेदन करना होता है। पर जिले के शिक्षा विभाग में सब गोलमाल चल रहा है।
वर्सन,,,
मै प्रथम अपीलीय अधिकारी हु। समय के अभाव में दूसरे को सुनवाई करने आदेश किया गया है। अपीली अधिकारी दूसरे को जिम्मेदारी दे सकता है।
योगदास साहू, प्रथम अपीलीय अधिकारी, डीईओ कबीरधाम

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