पर्यावरण के प्रति अहिल्याबाई की सोच थी दूरगामी : गीता

00 महाराष्ट्र मंडल के अवंती विहार केंद्र ने शंकर नगर बाल वाचनालय में मनाया होली मिलन समारोह
रायपुर। क्रंकीट के जंगल रहने वाले हम लोग भविष्य को बचाने के लिए पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं। वहीं आज से करीब 250 साल पहले राजमाता अहिल्याबाई होल्कर ने पर्यावरण के प्रति एक ऐसी अलख जगाई, जब उस समय भरपूर हरियाली थी। साथ ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंता करने की स्थिति नहीं थी। ये अहिल्याबाई की दूरगामी सोच ने ही पर्यावरण को लेकर लोगों को जागरूक किया।उक्ताशय के विचार महाराष्ट्र मंडल की उपाध्यक्ष गीता श्याम दलाल ने मंडल के अवंती विहार महिला केंद्र की ओर से आयोजित महिला दिवस और होली मिलन उत्सव कार्यक्रम में व्यक्त किए।
गीता ने आगे बताया कि रानी अहिल्याबाई होल्कर अपने पूजन के लिए पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करतीं और उन शिवलिंग में फल, फूल के पौधों के बीजों को रखती थीं। पूजन के बाद जब वह पार्थिव शिवलिंग को नदी और सरोवर में प्रवाहित करतीं, तो उन शिवलिंग के कुछ बीज मछलियों का चारा बनते, तो कुछ बीज किनारों पर अंकुरित होकर पौधे बन जाते हैं।
इस अवसर पर केंद्र की सदस्य रोहिणी पिंपलगांवकर ने लक्ष्मी बाई, निशा उमाठे ने रानी दुर्गावती, आरती गोवर्धन ने लता मंगेशकर और शुभदा गिजरे ने सावित्री बाई फूले से जुड़े रोचक प्रसंग साझा किए। इससे पूर्व सभी सदस्यों का स्वागत टोपी, गिलास, चीनी के गोले और फूलों से किया गया। महिलाओं के मनोरंजन के लिए कई रोचक गेम्स खेले गए। इसमें मनीषा चौखंडे, गीता दलाल और शरयू तंबोली विजयी रहीं। वहीं कहावत लेखन प्रतियोगिता में नंदिनी कोल्हे, मनीषा चौखंडे और शुभदा गिजरे ने बाजी मारी। इस दौरान लघु हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया। इसमें नीता भंडारकर, सुदेशना मेने, छाया महाजन और शिल्पा चौधरी ने कविताएं सुनाईं।
